मोक्ष प्रदान करने वाली मां गंगा की आरती (Ganga Aarti) का प्रारंभ ओम जय गंगे माता. से होता है.गंगा दशहरा(Ganga Dussehra) , गंगा अवतरण दिवस, देव दीपावली और अन्य महत्वपूर्ण व्रत एवं त्योहारों के अवसर पर गंगा आरती होती है.
भगवान शिव की नगरी काशी यानी वाराणसी और हरिद्वार में गंगा आरती होती है. वाराणसी में गंगा आरती दशाश्वमेध घाट पर, हरिद्वार में हर की पौड़ी पर गंगा आरती, ऋषिकेश में त्रिवेणी घाट पर गंगा आरती प्रमुख रूप से प्रसिद्ध है. इनके अलावा प्रयागराज, चित्रकूट, पटना में भी गंगा आरती होती है.
संपूर्णानंद संस्कृत विश्वविद्यालय वाराणसी के छात्र पंडित शिवम शुक्ला बताते हैं कि काशी के दशाश्वमेध घाट पर सूर्यास्त के समय गंगा आरती की जाती है. यह आरती 45 मिनट होती है, पूरा घाट मां गंगा की भक्ति और भगवान शिव के जयघोष से गूंज उठता है. घंट, घंटी, घड़ियाल, डमरू आदि के मधुर ध्वनि के बीच हर हर गंगे और हर हर महादेव का जयघोष लोगों को मंत्रमुग्ध कर देता है.
कहा जाता है कि काशी में तो हर कण शिव और हर बूंद गंगा हैं. शिव की नगरी काशी में सबकुछ पवित्र है.
गंगा आरती स्थान और समय
वाराणसी, दशाश्वमेध घाट: गंगा आरती समय, गर्मी में 06:30 पीएम के बाद से, सर्दी में शाम 07 बजे के बाद से, प्रतिदिन
हरिद्वार, हर की पौड़ी: गंगा आरती समय, सुबह 05:30 एएम से 06:00 एएम तक, शाम को 06:00 पीएम से 07:00 पीएम तक, प्रतिदिन
ऋषिकेश, त्रिवेणी घाट: गंगा आरती समय, शाम 06:00 पीएम से 07:00 पीएम, प्रतिदिन
मां गंगा की आरती
ओम जय गंगे माता, श्री गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता। ओम जय गंगे माता.
चन्द्र-सी ज्योत तुम्हारी जल निर्मल आता।
शरण पड़े जो तेरी, सो नर तर जाता। ओम जय गंगे माता.
पुत्र सगर के तारे सब जग को ज्ञाता।
कृपा दृष्टि तुम्हारी, त्रिभुवन सुख दाता। ओम जय गंगे माता.
एक ही बार भी जो नर तेरी शरणगति आता।
यम की त्रास मिटा कर, परम गति पाता। ओम जय गंगे माता.
आरती मात तुम्हारी जो जन नित्य गाता।
दास वही जो सहज में मुक्ति को पाता।
ओम जय गंगे माता, श्री गंगे माता।
जो नर तुमको ध्याता, मनवांछित फल पाता।