
लखनऊ। भारत की अत्याधुनिक प्रौद्योगिकी में आत्मनिर्भरता की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम उठाते हुए, यंत्र अनुसंधान एवं विकास संस्थान (आईआरडीई), देहरादून और उत्तर प्रदेश एक्सप्रेसवेज औद्योगिक विकास प्राधिकरण (यूपीडा) के बीच आज मुख्य सचिव श्री मनोज कुमार सिंह की उपस्थिति में एक समझौता पत्र (एमओयू) का आदान-प्रदान किया गया।
इस एमओयू के तहत, रक्षा अनुसंधान और विकास संगठन (डीआरडीओ) के अधीन एक अग्रणी प्रयोगशाला आईआरडीई, आईआर डिटेक्टरों के विकास और निर्माण के लिए एक स्वदेशी फैब-लाइन की स्थापना करेगा। यह परियोजना यूपी डिफेन्स कॉरीडोर के लखनऊ नोड में लगभग 25 एकड़ क्षेत्र में स्थापित होगी तथा इसके माध्यम से लगभग 650 नए रोजगार के अवसर सृजित होंगे। इस महत्वाकांक्षी परियोजना की अनुमानित लागत 2000 करोड़ रुपये है, जो भारत की तकनीकी आत्मनिर्भरता की यात्रा में एक मील का पत्थर साबित होगी।
इस अवसर पर मुख्य सचिव ने कहा कि भारत में पहली स्वदेशी आईआर डिटेक्टर फैब-लाइन की स्थापना आत्मनिर्भर भारत की दिशा में एक क्रांतिकारी कदम है। यह परियोजना न केवल भारत को अग्रणी देश की श्रेणी में लायेगी, बल्कि भारत सरकार के निर्यात बढ़ाने और रोजगार सृजन के लक्ष्यों को प्राप्त करने में भी महत्वपूर्ण योगदान देगी।
यह भी कहा कि आईआरडीई-देहरादून डीआरडीओ की एक अग्रणी प्रयोगशाला है। आईआरडीई और यूपीडा के बीच यह साझेदारी भारत की तकनीकी और औद्योगिक क्षमताओं को नई ऊंचाइयों तक ले जाएगी, साथ ही यूपी डिफेंस कॉरीडोर को रक्षा उत्पादन के क्षेत्र में एक प्रमुख केन्द्र के रूप में स्थापित करेगी।
इससे पूर्व, आईआरडीई के अधिकारियों ने डिफेन्स नोड पर प्रस्तावित साइट का भ्रमण भी किया।
वर्तमान में, भारत प्रतिवर्ष 5,000 से अधिक आईआर डिटेक्टरों का आयात करता है। इस स्वदेशी फैब-लाइन की स्थापना से विदेशी आपूर्तिकर्ताओं पर निर्भरता कम होगी, राष्ट्रीय सुरक्षा मजबूत होगी और महत्वपूर्ण रक्षा प्रौद्योगिकियों में नवाचार को बढ़ावा मिलेगा। भारत सरकार ने इस तकनीक में आत्मनिर्भरता हासिल करने के लिए आईआरडीई को यह महत्वपूर्ण जिम्मेदारी सौंपी है।
इस अवसर पर आईआरडीई के निदेशक डॉ. अजय कुमार, डॉ. सुधीर खरे, डॉ. निमिष दीक्षित, अजय मिश्रा, डॉ. प्रभात शर्मा, एस.एन. सिंह सहित अन्य गणमान्य व्यक्ति उपस्थित रहे।