रक्षाबंधन पर बहनें अपने भाइयों की कलाई पर राखी बांधकर उनकी सुख-समृद्धि की कामना करती हैं, वहीं भाई अपनी बहनों को उम्र भर रक्षा करने का वचन देते हैं। ये परंपरा हजारों सालों से चली आ रही है।
इसका आरंभ कैसे और क्यों हुआ, इसके बारे में कोई विशेष जानकारी नहीं मिलती, मगर इससे मिलते-जुलते कुछ प्रसंग जरूर धर्म ग्रंथों में बताए गए हैं। इस उत्सव का इंतजार हर भाई-बहन को होता है। ये पर्व भाई-बहन के रिश्ते को और मजबूत बनाता है। आगे जानिए इस बार रक्षाबंधन किन शुभ योगों में मनाया जाएगा और इस दिन शुभ मुहूर्त आदि से जुड़ी खास बातें.
कब से कब तक रहेगी पूर्णिमा तिथि? जानिए शुभ मुहूर्त
श्रावण पूर्णिमा तिथि 11 अगस्त, गुरुवार की सुबह 10.38 से शुरू होगी, जो 12 अगस्त, शुक्रवार की सुबह 07.05 मिनट तक रहेगी। इस दिन श्रवण नक्षत्र पूरे दिन रहेगा साथ ही रवि योग भी इस दिन बन रहा है। जिसके चलते इस पर्व का महत्व और भी बढ़ा गया है। ज्योतिषियों के अनुसार, राखी बांधने का शुभ मुहूर्त सुबह 09.28 से शुरू होकर पूरे दिन रहेगा। अमृत काल शाम 060.55 से रात 08.20 तक रहेगा।
ऐसे मनाएं रक्षाबंधन का पर्व
- रक्षाबंधन की सुबह स्नान आदि करने के बाद घर के किसी स्थान को साफ कर लें और उस पर कुंकुम से स्वस्तिक बनाएं। उसके ऊपर तांबे का शुद्ध जल से भरा हुआ कलश रखें। कलश के दोनों ओर आसन बिछा दें।
- एक आसन पर भाई और दूसरे आसन पर बहन बैठे। सबसे पहले बहन बाद कलश की पूजा करें। फिर भाई के दाहिने हाथ में नारियल तथा सिर पर कपड़ा या टोपी रखें। अब भाई को तिलक और चावल लगाएं। दाहिनी कलाई पर राखी बांधें।
- राखी बांधते समय ये मंत्र बोलें-
ॐ एन बद्धो बलि राजा, दानवेन्द्रो महाबली
तेन त्वा मनुबधनानि रक्षे माचल माचल।। - भाई को मिठाई खिलाएं, आरती उतारें। भाई बहन को उपहार दे।
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