उत्तर प्रदेश देश में आबादी के नज़रिए से सबसे बड़ा राज्य तो है ही साथ में राजनीतिक तौर पर भी सबसे अहम राज्य है.
ऐसे में आने वाले महीनों में यहां होने वाले विधानसभा चुनाव को देखते हुए राज्य में राजनीतिक हलचल का दौर शुरू हो गया है.
जनसंख्या, राजनीतिक जागरूकता, ऐतिहासिक और सांस्कृतिक विरासत और स्वतंत्रता आंदोलन की दृष्टि से उत्तर प्रदेश, देश का एक बहुत ही महत्वपूर्ण राज्य है. भारत की लगभग 16.17% आबादी इस राज्य में रहती है.
क्षेत्रफल के लिहाज से ये राज्य – राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र और आंध्र प्रदेश के बाद पांचवे स्थान पर है और भारत का 7.3% भूमि क्षेत्र इस राज्य में आता है. उत्तर प्रदेश में 75 ज़िले हैं.
लोक सभा में उत्तर प्रदेश की 80 सीटें और राज्य सभा में 31 सीटें हैं. इसकी विधान सभा में 404 सदस्य और विधान परिषद में 100 सदस्य होते हैं.
फ़िलहाल उत्तर प्रदेश में बीजेपी की सरकार है. वहीं मुख्य विपक्षी पार्टियां समाजवादी पार्टी और बहुजन समाज पार्टी है.
उत्तर प्रदेश में विधानसभा चुनाव कब हैं?
उत्तर प्रदेश विधान सभा के लिए चुनाव 2022 के शुरुआती महीनों में होने हैं. अभी विधान सभा चुनाव की तारीख़ों का ऐलान नहीं किया गया है.
साल 2017 में निर्वाचित वर्तमान विधान सभा का कार्यकाल 14 मार्च 2022 को ख़त्म होने वाला है. इसलिए उससे पहले ही चुनाव कराए जाएंगे.
उत्तर प्रदेश विधान सभा की कितनी सीटों के लिए चुनाव होगा?
उत्तर प्रदेश विधान सभा विधान मंडल का निचला सदन है. इसमें 403 निर्वाचित सदस्य और राज्यपाल की ओर से मनोनीत एक आंग्ल भारतीय सदस्य होते हैं.
यानी राज्य में 403 विधानसभा सीटों के लिए चुनाव होगा.
विधान सभा का कार्यकाल कुल पांच साल का होता है, अगर वो इसके पहले विघटित न हो गई हो. वर्तमान सत्रहवीं विधान सभा का गठन 14 मार्च, 2017 को हुआ था.
यूपी विधान सभा जीतने वाले का फ़ैसला कैसे होगा?
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में जीत का जादुई आंकड़ा है 202. चुनावी मैदान में उतरी जो भी पार्टी या पार्टियों का गठबंधन इस आंकड़े तक या इसके पार पहुंच जाएगा, अगली सरकार उसी की होगी.
2022 के यूपी विधान सभा चुनाव के लिए फ़िलहाल गठबंधनों की स्थिति साफ़ नहीं है. ज़्यादातर पार्टियों ने कहा है कि वो अलग-अलग चुनाव लड़ेंगे.
मुख्य उम्मीदवार कौन हैं?
उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव की तारीख़ों की घोषणा फिलहाल नहीं हुई है. इसके बाद ही पार्टियां अपने उम्मीदवारों की सूची जारी करेंगी.
हालांकि ये तय है कि बीजेपी नेता और मौजूदा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, समाजवादी पार्टी नेता अखिलेश यादव, बीएसपी सुप्रीमो मायावती, बीएसपी प्रदेश अध्यक्ष भीम राजभर जिन्हें पार्टी ने मुख्तार अंसारी का टिकट काटकर प्रत्याशी बनाने का फ़ैसला किया है, बीजेपी नेता और मौजूदा उपमुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य, दूसरे उप मुख्यमंत्री डॉ. दिनेश शर्मा, राय बरेली से मौजूदा एमएलए अदिति सिंह, सुहेलदेव भारतीय समाज पार्टी नेता ओम प्रकाश राजभर, शिवपाल सिंह यादव.
उत्तर प्रदेश के प्रमुख निर्वाचन क्षेत्र कौन से हैं और मुख्य चुनावी मुद्दे क्या हैं?
उत्तर प्रदेश के अलग-अलग क्षेत्रों की चुनाव के लिहाज़ से अलग-अलग अहमियत है और हर क्षेत्र के अपने अलग मुद्दे और समस्याएं हैं.
पश्चिम उत्तर प्रदेश में किसानों का मुद्दा प्रमुख है. जिसमें गन्ने के बक़ाए का भुगतान, एमएसपी जैसे अहम मसले हैं.
बुंदेलखंड में पानी की समस्या हमेशा से रही है. ये इलाक़ा सूखा प्रभावित है. इसे उत्तर प्रदेश का उपेक्षित इलाक़ा माना जाता है. कहा जाता है कि ये विकास के एजेंडे में नहीं रहता.
वहीं अवध के सेंट्रल लखनऊ के इलाक़े में कोविड के कुप्रबंधन का मुद्दा चुनाव में हावी रह सकती है. साथ ही जो वादे पूरे नहीं हुए हैं उनका मसला भी उठ सकता है. उत्तर प्रदेश विधान सभा चुनाव में बेरोज़गारी भी बड़ा मुद्दा बन सकती है.
वहीं पूर्वांचल में जहां से मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ खुद आते हैं, वहां गोरखपुर में हर साल दिमाग़ी बुख़ार का प्रकोप देखा जाता है. इस साल भी उसका असर देखने को मिला है.
वहीं सोशल मीडिया पर आए दिन प्रदेश की ख़स्ताहाल सड़कें चर्चा का विषय बनती हैं. वहीं प्रधानमंत्री का संसदीय क्षेत्र वाराणसी और आसपास के इलाक़ों में भी विकास का मुद्दा उठ सकता है. हाल में बारिश के पानी में वाराणसी का क्षेत्र भी डूब गया था.
ये सवाल बार-बार उठाया जाता है कि प्रधानमंत्री ने वाराणसी को जापान के क्योटो जैसा बनाने का वादा किया था, लेकिन ऐसा नहीं हुआ है. काशी विश्वनाथ मंदिर का निर्माण कार्य अभी तक पूरा नहीं हुआ है. लेकिन राम मंदिर निर्माण का काम शुरू होने को बीजेपी अपनी उपलब्धियों में गिना सकती है.
वाराणसी में बुनकर का काम करने वाले लोगों का काम कोविड में ठप हो चुका है. पूरे प्रदेश में लॉकडाउन से उपजी अलग-अलग समस्याएं हैं. कोरोना के दौरान प्रदेश की स्वास्थ्य व्यवस्था पर भी कई सवाल उठे.
चुनाव जैसे-जैसे नज़दीक आ रहा है, नेताओं के बयानों में हिंदू-मुस्लिम का ज़िक्र भी बढ़ता जा रहा है. ऐसे में माना जा रहा है कि इस चुनाव में ध्रुवीकरण का दांव भी ख़ूब चलेगा.
यूपी में बीते चुनाव में क्या हुआ?
पिछले यानी 2017 के यूपी विधान सभा चुनाव में बीजेपी ने 312 सीटें अपने नाम करके बड़ी जीत हासिल की थी.
403 सीटों वाली विधान सभा के लिए बीजेपी ने चुनाव में 39.67 प्रतिशत वोट शेयर हासिल किए थे.
एसपी यानी समाजवादी पार्टी को 47 सीटें मिली थीं, बीएसपी यानी बहुजन समाज पार्टी ने 19 सीटें जीती थीं जब कि कांग्रेस सिर्फ सात सीटें जीत सकी थी.