ज्योतिषाचार्य पं.अविनाश मिश्र शास्त्री (चित्रकूटधाम)

जिस प्रकार मंत्र ध्वनि का समूह है, उसी प्रकार स्तोत्र पाठ भी ध्वनि का समूह ही है जिससे साधक को फल की प्राप्ति अवश्य होती है। स्तोत्र पाठ से अनेक समस्याएं स्वयं ही हल हो जाती हैं लेकिन इसमें शर्त यह है कि मनुष्य में उसमें आस्था होनी चाहिए और स्तोत्र का पाठ उच्च स्वर में किया जाना चाहिए। कृष्णयामल ग्रंथ में हर प्रकार के ऋणों से मुक्ति देने वाले इस गणेश स्तोत्र का वर्णन किया गया है ।
ऋणहर्ता गणेश एक बार कैलास पर्वत के रमणीय शिखर पर भगवान चन्द्रशेशर शिव गिरिराजनन्दिनी पार्वती के साथ बैठे हुए थे। उस समय पार्वतीजी ने भगवान शिव से कहा- ‘आप सम्पूर्ण शास्त्रों के ज्ञाता हैं। कृपा करके मुझे ऋण नाश का उपाय बताइये।’
शिवजी ने कहा- ‘तुमने संसार के कल्याण की कामना से यह बात पूछी है, इसे मैं जरुर बताऊंगा। भगवान गणेश ऋणहर्ता हैं। उनका ‘ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र’ हर प्रकार के कर्जों से मुक्ति दिलाने वाला है।’ इस स्तोत्र का पाठ करने से पहले गणेशजी का ध्यान कर लेना चाहिए।
ध्यान- सच्चिदानन्द भगवान गणेश की अंगकान्ति सिन्दूर के समान है। उनके दो भुजाएं हैं, वे लम्बोदर हैं और कमलदल पर विराजमान हैं, ब्रह्मा आदि देवता उनकी सेवा में लगे हैं तथा वे सिद्ध समुदाय से युक्त (घिरे हुए) हैं- ऐसे श्रीगणपतिदेव को मैं प्रणाम करता हूँ।
इस प्रकार ध्यान करने के बाद गणेशजी का पंचोपचार या षोडशोपचार पूजन कर स्तोत्र का पाठ करेंगे तो अति शीघ्र फल प्राप्त होगा-
ऋणहर्ता गणेश स्तोत्र -सृष्टि के आदिकाल में ब्रह्माजी ने सृष्टिरूप फल की सिद्धि के लिए जिनका सम्यक् पूजन किया था, वे पार्वतीपुत्र सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
त्रिपुर वध के पूर्व भगवान शिव ने जिनकी सम्यक् आराधना की थी, वे पार्वतीनन्दन गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
भगवान विष्णु ने हिरण्यकश्यप आदि दैत्यों के वध के लिए जिनकी पूजा की थी, वे पार्वतीकुमार गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
महिषासुर के वध के लिए देवी दुर्गा ने जिन गणनाथ की उत्तम पूजा की थी, वे पार्वती नन्दन गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
कुमार कार्तिकेय ने तारकासुर के वध से पूर्व जिनका भलीभांति पूजन किया था, वे पार्वतीपुत्र गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
भगवान सूर्यदेव ने अपनी तेजोमयी प्रभा की रक्षा के लिए जिनकी आराधना की थी, वे पार्वतीनन्दन गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
, चन्द्रमा ने अपनी कान्ति की सिद्धि के लिए जिन गणनायक का पूजन किया था, वे पार्वतीपुत्र गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
विश्वामित्र ऋषि ने अपनी रक्षा के लिए तपस्या द्वारा जिनकी पूजा की थी, वे पार्वतीपुत्र गणेश सदा ही मेरे ऋण का नाश करें।
स्तोत्र पाठ की महिमा- यह ऋणहर स्तोत्र दारुण दरिद्रता का नाश करने वाला है। इसका एक वर्ष तक प्रतिदिन एक बार एकाग्र मन से पाठ करने पर दुस्सह दरिद्रता दूर हो जाती है और मनुष्य को कुबेर के समान धन-सम्पत्ति प्राप्त होती है।
इस प्रकार इस गणेश स्तोत्र के पाठ से मंगलमूर्ति गणेश मनुष्य के घर को सभी प्रकार की ऋद्धि-सिद्धि से भर देते हैं। गणेश कृपा से मनुष्य अपना इहलोक और परलोक सुखद बना लेता है।
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