सावन माह का प्रत्येक दिन देवों के देव महादेव की पूजा-आराधना के लिए समर्पित है।
इस माह के प्रदोष व्रत भी शिव कृपा के लिए बेहद उत्तम माने जाते हैं। सावन माह का दूसरा प्रदोष व्रत 09 अगस्त दिन मंगलवार को है। वैसे तो साल भर में पड़ने वाले सभी प्रदोष व्रत महादेव की पूजा के लिए उत्तम माने जाते हैं, लेकिन सावन माह में इसका महत्व और अधिक बढ़ जाता है। सावन का महीना और त्रयोदशी तिथि दोनों ही शिव जी को समर्पित है। ऐसे में सावन में पड़ने वाली त्रयोदशी तिथि शिव जी की पूजा के लिए बेहद खास मानी जाती है। इस दिन व्रत रखा जाता है और शिव जी विधि पूर्वक पूजा की जाती है। इस बार सावन माह का दूसरा प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन पड़ रहा है, इसलिए इसका महत्व और अधिक बढ़ जाएगा, क्योंकि इसी दिन सावन माह का आखिरी मंगला गौरी व्रत भी है। ऐसे में चलिए जानते हैं सावन प्रदोष व्रत पूजा विधि और महत्व… 2 of 6
सावन प्रदोष व्रत 2022 तिथि
हिंदू पंचांग के अनुसार, सावन माह के शुक्ल पक्ष की त्रयोदशी तिथि की शुरुआत 09 अगस्त दिन मंगलवार को शाम 05 बजकर 45 मिनट से हो रही है। ये तिथि अगले दिन 10 अगस्त को दोपहर 02 बजकर 15 मिनट तक मान्य रहेगी। 3 of 6
भौम प्रदोष व्रत 2022 पूजा मुहूर्त
सावन का दूसरा प्रदोष व्रत मंगलवार के दिन है। मंगलवार के दिन पड़ने की वजह से इसे भौम प्रदोष कहा जाएगा। इस दिन पूजा का शुभ मुहूर्त शाम को 07 बजकर 06 मिनट से रात 09 बजकर 14 मिनट तक है। इस बीच आप शिव जी की पूजा कर सकते हैं। 4 of 6
इस दिन कई शुभ योग बन रहे हैं। इस दिन मंगला गौरी व्रत रखा जाएगा। इसके अलावा मंगलवार का दिन होने की वजह से इस दिन भगवान शिव के साथ हनुमान जी की पूजा भी करनी चाहिए, क्योंकि बजरंगबली भोलेशंकर के ही रुद्रावतार हैं। 5 of 6
सावन सोम प्रदोष व्रत 2022 पूजा विधि
सावन प्रदोष व्रत के दिन प्रातः काल जल्दी उठें और स्नान आदि करके पूजा के लिए साफ वस्त्र पहन लें। उसके बाद पूजा घर में दीपक जलाएं और व्रत का संकल्प लें। पूरे दिन व्रत रखते हुए प्रदोष काल में शिव जी की पूजा और उपासना करें।