हिंदू कैलेंडर के अनुसार, हर माह में दो चतुर्थी तिथि पड़ती है।
एक कृष्ण पक्ष में जिसे संकष्टी चतुर्थी कहते हैं, वहीं दूसरी शुक्ल पक्ष में जिसे विनायक चतुर्थी के नाम से जाना जाता है। दोनों ही पक्षों की चतुर्थी भगवान गणेश की पूजा आराधना के लिए उत्तम मानी जाती है। कहा जाता है कि विनायक चतुर्थी के दिन विधि-विधान से पूजा करने से गणेश जी की विशेष कृपा प्राप्त होती है। हिंदू धर्म में भगवान गणेश को सभी संकटों को दूर करने वाला और विघ्नहर्ता माना जाता है। चतुर्थी तिथि पर गणेश जी की पूजा करना बहुत ही शुभ माना जाता है। विनायक चतुर्थी पर भगवान गणेश की पूजा करने से ज्ञान और ऐश्वर्य की प्राप्ति होती है। इस समय सावन माह चल रहा है और इस माह की विनायक चतुर्थी 01 अगस्त को है। ऐसे में आइए जानते हैं सावन माह की विनायक चतुर्थी की तिथि और पूजा विधि के बारे में…
सावन विनायक चतुर्थी व्रत 2022 मुहूर्त
सावन माह की विनायक चतुर्थी तिथि की शुरुआत – 01 अगस्त 2022, दिन सोमवार को प्रात: 4 बजकर 18 मिनट पर
सावन की विनायक चतुर्थी तिथि का समापन – 02 अगस्त 2022, मंगलवार को प्रात: 5 बजकर 13 मिनट पर
भगवान गणेश की पूजा का शुभ मुहूर्त – सुबह 11 बजकर 06 मिनट से दोपहर 01 बजकर 48 मिनट तक
इस दिन दोपहर 12 बजे से – 12 बजकर 54 मिनट तक अभिजित मुहूर्त है
विनायक चतुर्थी पूजा विधि
सावन माह की विनायक चतुर्थी के दिन सुबह स्नान के बाद साफ वस्त्र पहन लें और भगवान गणेश के सामने प्रार्थना करते हुए पूजन का संकल्प लें। फिर गणेश जी की मूर्ति एक चौकी पर स्थापित करें और उनका जलाभिषेक करें।
इसके बाद भगवान गणेश को चंदन का तिलक लगाएं, वस्त्र, कुमकुम, धूप, दीप, लाल फूल अक्षत, पान, सुपारी आदि अर्पित करें। कहा जाता है कि गणेश जी को मोदक और दूर्वा घास बेहद पसंद है। ऐसे में उनकी कृपा पाने के लिए विनायक चतुर्थी के दिन मोदक या लड्डू का भोग जरूर लगाएं और दूर्वा चढ़ाएं।
कहा जाता है कि भगवान गणेश को सिंदूर बेहद प्रिय है, इसलिए विनायक चतुर्थी के दिन पूजा करते समय गणेश जी को लाल रंग के सिंदूर का तिलक लगाएं।