हिन्दू पंचांग के अनुसार हर वर्ष कार्तिक मास में शुक्ल पक्ष की चतुर्थी के दिन एक महापर्व मनाया जाता है। इस दिन सभी औरतें अपने सुहाग की दीर्घायु के लिए निर्जल व्रत करती हैं एवं भगवान से स्वस्थ एवं लंबी आयु की प्रार्थना करती हैं। यह व्रत रात में चांद को देखने के बाद अपने पति को देखकर पानी पीने से पूर्ण होता है। इस वर्ष यह पर्व 24 अक्टूबर, दिन रविवारको मनाया जाएगा। इस तिथि में किये गए व्रत पर सूर्यदेव की भी विशेष कृपा रहेगी, एवं यह पूजा भी रोहिणी नक्षत्र में होगी जिसे शुभ नक्षत्र माना जाता है। सिर्फ दीर्घायु ही नही बल्कि इस व्रत को करने से वैवाहिक जीवन की समस्याओं का अंत होता है एवं परिवार में सुख समृद्धि बढ़ती है। यह पर्व इस वर्ष रविवार की सुबह 3 बजे शुरू होगा एवं इसका समापन सोमवार की सुबह 5 बजकर 43 मिनट पर होगा। माना जा रहा है चन्द्रदेव के दर्शन 8 बजकर 10 मिनट से 8 बजकर 20 मिनट के मध्य होंगे एवं शुभ मुहूर्त शाम 6 बजकर 55 मिनट से 8 बजकर 51 मिनट तक रहेगा। इस व्रत को यदि करें तो पूरी श्रद्धा के साथ करें अन्यथा इसके विपरीत परिणाम भी हो सकते हैं।

क्या है इससे जुड़ी धार्मिक मान्यता
कहा जाता है लंबे समय पूर्व सात भाइयों की एक बहन करवा थी, क्योंकि सात भाइयों में एक बहन थी तो सभी के दिल का टुकड़ा थी। कोई उसे थोड़ा सा भी परेशान नही देख सकता था। प्रेम यूं था कि बहन को खिलाये बिना भाई खाना नही खाते थे। एक शाम सभी भाई व्यापार कर के घर लौटे तभी देखा बहन बहुत बेचैन और परेशान थी जब उससे पूछा गया तो उसने बताया कि उसका निर्जल व्रत है, चांद देखकर ही वो जल अन्न ग्रहण करेगी। इससे भाई चिंतित हो गए। ऐसा देख एक भाई ने दूर पीपल पेड़ के नीचे दीया जलाकर चलनी के नीचे रख दिया इससे ऐसा लगा जैसे चतुर्थी का चांद निकला हो। ऐसा कहने पर बहन ने जब वो देखा तो उसने जल अन्न ग्रहण किया। पहले निवाले में उसे छींक आई दूसरे निवाले में बाल निकला तो वहीं तीसरे में उसके पति की मौत का समाचार मिला। जब उसे सच पता चला तो वो क्रोधित हो गई और उसने ठान लिया कि वो अपने पति को पुनर्जीवित करेगी। अगले करवाचौथ तक वो अपने पति के शव के पास बैठी रहती है। अगले करवाचौथ पर वो सभी भाभी माताओं से आग्रह करती है पर सभी टाल देते हैं किंतु उसे पता चलता है कि सबसे छोटी भाभी के पति द्वारा ऐसा हुआ था तो उनकी पत्नी ही करवा के पति को जीवित कर सकती है यदि वो उनसे जिद पर अड़ जाए। इतना जानते ही करवा जिद पर अड़ गई तभी उसकी प्रार्थना एवं तपस्या देख वो अपनी छोटी उंगली चीरकर उससे अमृत निकाल के पति के मुंह में डालकर उसे पुनर्जीवित कर देती हैं। इस तरह से करवा अपने प्रेम और तपस्या से अपने पति को जीवनदान दिलवाती है।

भूलकर न करें ये काम, व्रत में करें इन नियमों का पालन
. इस दिन काले रंग के वस्त्र न पहने, लाल रंग को प्रेम से जोड़कर देखा जाता है तो लाल रंग के वस्त्र ही धारण करें।
. इस दिन सुबह जल्दी उठकर स्नान करें एवं व्रत का आरम्भ करें।
. व्रत करने से पूर्व सास द्वारा प्राप्त सरगी में दिए भोजन का सेवन करें। प्रभु के नाम से निर्जल व्रत का संकल्प लें।
. इस दिन यदि अपनी तपस्या से फल चाहिए तो अपने पतियों से झगड़ा या विवाद न करें।
. इस दिन सफेद वस्तुएं जैसे दूध, चावल, कपड़े आदि का दान कतई न करें इसे अशुभ माना जाता है।