कोरोना की तीसरी लहर को लेकर विशेषज्ञों ने आगाह किया है। विशेषज्ञों का कहना है कि त्योहारों का मौसम और इस दौरान लोगों की ओर से कोविड प्रोटोकाल का पालन महत्वपूर्ण कारक साबित होंगे। विशेषज्ञों का यह भी कहना है कि तीसरी लहर के संबंध में कोरोना वायरस का एक नया वैरिएंट घातक साबित हो सकता है क्योंकि त्योहारों के सीजन में लोगों की भीड़ में इसके तेजी से फैलने की आशंका होगी।
टीकाकरण पर राष्ट्रीय तनकीकी सलाहकार समूह के कोविड-19 कार्यसमूह के अध्यक्ष डा. एन के अरोड़ा ने कहा कि पिछले कुछ महीनों से तेजी से हो रहे टीकाकरण और कोरोना के किसी नए वैरिएंट के सामने नहीं आने के बाद तीसरी लहर को लेकर सबसे बड़ा खतरा त्यौहारों के सीजन में तब होगा जब लोग कोविड प्रोटोकाल का पालन करना भूल जाएंगे। इस सीजन में सामाजिक और धार्मिक आयोजनों से लोगों के बीच डेल्टा वैरिएंट तेजी से फैल सकता है।
डा. एन के अरोड़ा ने कहा कि खासकर उन लोगों में डेल्टा वैरिएंट के फैलने का जोखिम ज्यादा है जिन्होंने संक्रमण के प्रति खुद को सुरक्षित नहीं किया है। ऐसे में त्यौहारी सीजन में लोग को चाहिए कि वे पूरी ईमानदारी से कोविड प्रोटोकाल का पालन करें। यही नहीं सामाजिक जमावड़े को हतोत्साहित करने के लिए भी कड़े कदम उठाए जाने चाहिए।
दिल्ली स्थित एम्स के निदेशक डा. रणदीप गुलेरिया का कहना है कि मौजूदा वक्त में कोरोना के मामलों में तेजी से गिरावट देखी जा रही है। यह बेहतर स्थिति है लेकिन त्योहारों के मौसम में कोविड प्रोटोकाल यानी कोरोना से बचाव के उपायों के पालन में आने वाली कमी और लोगों का भारी जमावड़ा तीसरी लहर की वजह बन सकते हैं। डा. गुलेरिया ने कहा कि अगले दो से तीन महीने कोरोना की रोकथाम के लिए बेहद महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं।
वहीं चिकित्सा विशेषज्ञ चंद्रकांत लहरिया ने कहा कि दुनिया भर में भीड़ जुटने से कोरोना के मामलों में बढ़ोतरी देखी गई है। इसलिए अगले तीन महीने बेहद महत्वपूर्ण हैं क्योंकि इस दौरान कई त्यौहार पड़ने वाले हैं। वे लोग जिन्होंने कोविड रोधी वैक्सीन की दोनों खुराकें नहीं ली हैं किसी जमावड़े में जाने से बचते हैं तो तीसरी लहर को टालने में सहूलियत होगी। नीति आयोग के सदस्य और टीकाकरण पर गठित टास्क फोर्स के प्रमुख डाक्टर वीके पाल भी आगाह कर चुके हैं कि कोरोना की तीसरी लहर को लेकर अगल तीन महीने अहम साबित हो सकते हैं।