नई दिल्ली: आरएसएस प्रमुख मोहन भागवत ने आज COVID-19 महामारी की पहली लहर के बाद देश के सभी वर्गों द्वारा लापरवाही के बारे में जिम्मेदार बताया, जिसने भारत को चल रहे राष्ट्रव्यापी चिकित्सा संकट में डाल दिया।
भागवत ने कहा, “पहली लहर के बाद हम सब लापरवाह हो गए। लोग, सरकारें, प्रशासन। हम सभी जानते थे कि यह आ रही है। डॉक्टरों ने हमें चेतावनी दी थी। फिर भी हम लापरवाही कर रहे थे। अब वे हमें बता रहे हैं कि एक तीसरी लहर आ सकती है। तो क्या हमें इससे डरना चाहिए? या वायरस के खिलाफ लड़ने और जीतने के लिए सही रवैया है?”
उन्होंने कहा कि आरएसएस द्वारा आयोजित व्याख्यानों की ‘पॉजिटिविटी अनलिमिटेड’ श्रृंखला के हिस्से के रूप में लोगों में आत्मविश्वास और सकारात्मकता का संचार करने के लिए बात कही, क्योंकि हम COVID-19 महामारी से लड़ रहे हैं। उन्होंने भविष्य की ओर राष्ट्र का ध्यान केंद्रित करने की मांग की ताकि लोग और सरकार वर्तमान अनुभवों से सीखकर इसके लिए तैयार हो सकें। भारत के सामने आने वाली कठिनाइयों को दूर करते हुए भागवत ने भारतीयों को आज की गलतियों से सीखकर संभावित तीसरी लहर का सामना करने के लिए आत्मविश्वास विकसित करने के लिए प्रोत्साहित किया।
विभिन्न सिविल सेवा समूहों के सहयोग से आरएसएस की “कोविड रिस्पांस टीम” द्वारा समन्वित श्रृंखला 11 मई से पांच दिनों तक आयोजित की जा रही है और इसमें ऑनलाइन वक्ताओं में विप्रो समूह के संस्थापक अजीम प्रेमजी और आध्यात्मिक गुरु जग्गी वासुदेव शामिल हैं।