तीन-चार साल पहले कोविड की चपेट में आए मरीजों के लिए मौसमी वायरल बुखार आफत बन गया है। खासकर वो ज्यादा परेशान हैं जिनका सीटी स्कोर 16 या उससे ऊपर था। बुखार के साथ-खांसी-जुकाम और सांस फूलने की दिक्कत सामने आ रही है।
ऐसे मरीजों को ठीक होने में बाकी से ज्यादा समय लग रहा है। कानपुर के हैलट, चेस्ट, उर्सला समेत तमाम अस्पतालों की ओपीडी में रोजाना पोस्ट कोविड के 70 से 80 मरीज पहुंच रहे हैं। इनमें से 50 फीसदी 40 से 45 साल तक की आयु वर्ग के हैं।
43 वर्षीय नौकरी पेशा संजय महीने भर से बलगम वाली खांसी और सांस की समस्या से परेशान हैं। साढ़े तीन साल पहले वह कोविड की चपेट में आए थे। इसी तरह 56 साल की मधु को भी साढ़े तीन साल पहले कोविड हुआ था। वायरल की चपेट में आईं तो ठीक होने में लगभग दो हफ्ते लग गए।
उर्सला अस्पताल के वरिष्ठ फिजिशियन डॉ. शैलेंद्र तिवारी का कहना है कि सांस लेने में दिक्कत व सांस फूलने, लंबे समय तक बलगम के साथ खांसी वाले मरीजों की केस हिस्ट्री खंगाली जा रही है। वायरल की चपेट में आने के बाद लंबे समय तक राहत न मिलने वालों में ज्यादातर पोस्ट कोविड मरीज हैं। जीएसवीएम मेडिकल कॉलेज के वरिष्ठ प्रो. डॉ. एसके गौतम के अनुसार पोस्ट कोविड मरीज अगर वायरल की चपेट में आ रहे हैं तो उन्हें पूरी तरह स्वस्थ होने में महीने भर से भी ज्यादा समय लग रहा है।