सनातन धर्म में वैसे तो कई ग्रंथ है जिनमें ज्ञान और मानव जीवन से जुड़ अहम बातें बताई गई हैं लेकिन इन सभी में श्रीमद्भागवत गीता को सबसे अधिक महत्वपूर्ण और पवित्र बताया गया है इस पवित्र ग्रंथ में भगवान श्रीकृष्ण के उपदेशों का वर्णन किया गया है।

गीता एक मात्र ऐसा ग्रंथ है जो मनुष्य को सही राह दिखाने का काम करती है गीता के उपदेशों में भगवान श्रीकृष्ण स्वयं कहते है कि कौन से लोग कभी किसी के साथ छल नहीं करते है, तो आज हम इसी विषय पर चर्चा कर रहे हैं, तो आइए जानते है।

धार्मिक मान्यताओं के अनुसार श्रीमद्भागवत गीता मनुष्य को धर्म, कर्म और प्रेम का पाठ पढ़ाती है जो भी मनुष्य इस पवित्र ग्रंथ का अनुसरण करता है वह सर्वश्रेष्ठ हो जाता है गीता के अनुसार कठोर वाणी वाले लोग कभी किसी के साथ छल नहीं करते है। भगवान कृष्ण कहते है कि जो मनुष्य स्पष्ट और सीधी बात करते है उसकी वाणी कठोर जरूर होती है लेकिन वह कभी किसी के साथ धोखा या छल नहीं कर सकते है। गीता ग्रंथ के अनुसार अगर मनुष्य सोच अच्छी रखता है।

तो लोग अपने आप अच्छे लगने लगेंगे, नियत अच्छी रखो तो काम अपने आप ठीक होने लगेंगे। भगवान कृष्ण कहते है मनुष्य को अपने जीवन में तीन मंत्रों को हमेशा ही याद रखना चाहिए जिसमें पहला है आनंद में किसी को वचन मत दो, क्रोध में उत्तर मत दो और दुख में कोई निर्णय मत करों। भगवान कृष्ण ने क्रोध के विषय में बहुत कुछ बताया है जिसमें वह कहते है कि क्रोध बुरा है पर जहां जरूरत हो वहां दिखाना ही चाहिए नहीं तो गलत करने वाले को इस बात का कभी एहसास नहीं होगा कि वो कुछ गलत कर रहा है। ऐसी स्थिति में वह आपके साथ सदैव ही ऐसा व्यवहार कर सकता है इसलिए जरूर पड़ने पर क्रोध करें लेकिन हर वक्त नहीं।