ज्योतिषाचार्य पं.अविनाश मिश्र शास्त्री
जीवन में एक वक्त ऐसा जरूर होता है जब हम सोचते हैं कि नौकरी कब लगेगी? या अगर नौकरी छूट गई है तो नई नौकरी कब मिलेगी?
इस सभी सवालों का जवाब हमारी कुंडली में छुपा होता है जिसमें ग्रहों की भूमिका खास होता है। राहु और केतु भी इसमें महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं।
जीवन की कोई भी शुभ या अशुभ घटना राहु और केतु की दशा या अंतरदशा में घटित हो सकती है। यह घटना राहु या केतु का संबंध किसी भाव से कैसा (शुभ या अशुभ) है, इस पर निर्भर करती है।
दशम भाव व्यवसाय का भाव माना जाता है अतः दशमेश की दशा या अंतरदशा में नौकरी मिल सकती है।
एकादश भाव धनलाभ का और दूसरा धन का माना जाता है अतः द्वितीयेश और एकादशेश की दशा या अंतरदशा में भी नौकरी मिल सकती है।
ग्रहों का गोचर भी महत्वपूर्ण घटना में अपना योगदान देता है। गोचर: गुरु गोचर में दशम या दशमेश से नौकरी मिलने के समय केंद्र या त्रिकोण में होता है।
अगर जातक का लग्न मेष, मिथुन, सिंह, वृश्चिक, वृष या तुला हो, तो जब भी शनि और गुरु एक-दूसरे से केंद्र या त्रिकोण में हों, तो नौकरी मिल सकती है
शनि और गुरु शनि को नौकरी और कर्म का कारक माना जाता है। गुरु ज्ञान, बुद्धि और मार्गदर्शन का प्रतिनिधित्व करता है। दोनों ग्रहों का केंद्र/त्रिकोण संबंध नौकरी के लिए शुभ होता है.।
अर्थात नौकरी मिलने के समय शनि और गुरु का एक-दूसरे से केंद्र या त्रिकोण में होना अति आवश्यक है।
नौकरी मिलने के समय शनि या गुरु या दोनों का दशम भाव और दशमेश दोनों से या किसी एक से संबंध होता है। नौकरी मिलने के समय शनि और राहु एक-दूसरे से केंद्र या त्रिकोण में होते हैं।
नौकरी मिलने के समय जिस ग्रह की दशा और अंतरदशा चल रही है उसका संबंध किसी तरह दशम भाव या दशमेश से या दोनों से होता है।
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