ज्योतिषाचार्य पं.अविनाश मिश्र शास्त्री (चित्रकूटधाम)
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि को निर्जला एकादशी के रूप में मनाई जाती है। इस बार यह व्रत 6 जून को किया जाएगा और पारण अगले दिन 7 जून 2025को होगा।
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि की शुरुआत- श्री हृषीकेश पंचांग के अनुसार 06जून को रात्रि 03बजकर 13 मिनट पर
ज्येष्ठ माह के शुक्ल पक्ष की एकादशी तिथि का समापन- 07जून को सुबह 05 बजकर 02 मिनट पर होगा।
हिंदू मान्यताओं के अनुसार ज्येष्ठ मास के शुक्ल पक्ष की एकादशी को निर्जला एकादशी का व्रत रखा जाता है। माना जाता है कि इस दिन बिना कुछ खाए पिए व्रत रखने से सभी पापों से मुक्ति मिल जाती है।
मान्यता है कि सिर्फ निर्जला एकादशी का व्रत रखने से श्रद्धालुओं को वर्ष के सभी एकादशियों का फल मिल जाता है। इस व्रत में एकादशी के सूर्योदय से द्वादशी के सूर्योदय तक निर्जल व्रत रखने का विधान है। यह व्रत विधि-विधान से करने वालों को दीर्घायु और मोक्ष की प्राप्ति होती है।
हमारे धर्मग्रंथों में इस पर्व को आत्मसंयम की साधना का अनूठा पर्व माना गया है।निर्जला एकादशी की उपासना का सीधा संबंध एक ओर जहां पानी न पीने के व्रत की कठिन साधना है, वहीं आम जनता को पानी पिलाकर परोपकार की प्राचीन भारतीय परंपरा भी।
सर्वज्ञ वेदव्यास ने पाडवों को चारों पुरुषार्थ- धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष देने वाले एकादशी व्रत का संकल्प कराया तो महाबली भीम ने निवेदन किया- पितामह! आपने तो प्रति पक्ष एक दिन के उपवास की बात कही है। मैं तो एक दिन क्या एक समय भी भोजन के बगैर नहीं रह सकता- मेरे पेट में वृक नाम की जो अग्नि है, उसे शान्त रखने के लिए मुझे कई बार भोजन करना पड़ता है तो क्या अपनी उस भूख के कारण मैं एकादशी जैसे पुण्यव्रत से वंचित रह जाउंगा। पितामह ने भीम की समस्या का निदान करते और उनका मनोबल बढ़ाते हुए कहा- नहीं कुंतीनंदन, धर्म की यही तो विशेषता है कि वह सबको धारण ही नहीं करता, सबके योग्य साधन व्रत-नियमों की बड़ी सहज और लचीली व्यवस्था भी उपलब्ध करवाता है। अत: आप ज्येष्ठ मास की शुक्ल पक्ष की निर्जला नाम की एक ही एकादशी का व्रत करो और तुम्हें वर्ष की समस्त एकादशियों का फल प्राप्त होगा। नि:संदेह तुम इस लोक में सुख, यश और प्राप्तव्य प्राप्त कर मोक्ष प्राप्त करोगे। इतने आश्वासन पर तो वृकोदर भीमसेन भी इस व्रत को करने को सहमत हो गए। इसलिए इस श्रेष्ठ निर्जला एकादशी को पाण्डव एकादशी या भीमसेनी एकादशी भी कहा जाता है।
निर्जला एकादशी पर करे ये उपाय :~
निर्जला एकादशी के दिन भगवान विष्णु की पूजा की जाती है। इस दिन भगवान विष्णु को पीले रंग के वस्त्र अर्पित करें।
विष्णु के मंदिर जाकर पीले रंग का ध्वज अर्पित करें। ऐसा करने से गुरु के दोष से छुटकारा मिल जाता है। इसके साथ ही विवाह में आने वाली अड़चन से छुटकारा मिल जाता है।
मान्यता है कि इस दिन प्याऊ लगवाने या फिर किसी मंदिर के पास जल, शरबत आदि वितरण करने से पितृ दोष और चंद्र दोष से छुटकारा मिल जाता है।
इस दिन जरूरतमंद को अपनी योग्यता के अनुसार दान कर सकते हैं। इसके अलावा खरबूज, तरबूज, आम आदि फल भी दान करना शुभ होता है।
इस दिन गरीबों को भोजन कराना या अन्न का दान करने से मां लक्ष्मी प्रसन्न होती हैं और जातक की आय में वृद्धि होती है।
घर में तुलसी के पौधे को ईशान कोण में रखना चाहिए।
एकादशी के दिन आप तुलसी की पूजा के साथ-साथ उसके पास घी का दीपक जलाना शुभ फलदायी माना जाता है। इससे घर की सकारात्मकता ऊर्जा का वास होगा।
शास्त्रों में बताया गया है कि पीपल के वृक्ष में भगवान विष्णु वास करते हैं। इसलिए निर्जला एकादशी व्रत के विशेष दिन पर पीपल के वृक्ष पर जल चढ़ाएं।
पीपल के पेड़ के पास दीपक जलाने से पितरों का आशीर्वाद मिलता है। साथ ही जीवन में सुख-समृद्धि का वास होता है।माना जाता है कि ऐसा करने से कर्ज से मुक्ति मिल जाती है।
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