जम्मू-कश्मीर के खूबसूरत लेकिन संवेदनशील इलाक़े पहलगाम में मंगलवार को हुए भीषण आतंकी हमले के बाद जहां पूरा देश शोक और आक्रोश में डूबा है, वहीं पाकिस्तान ने इस हमले से खुद को अलग करते हुए पहली आधिकारिक प्रतिक्रिया में जिम्मेदारी लेने से इनकार कर दिया है। पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने स्पष्ट रूप से कहा कि इस हमले से पाकिस्तान का कोई लेना-देना नहीं है और यह हमला भारत की “घरेलू परिस्थितियों” का परिणाम है। इस आतंकी हमले में कुल 26 लोगों की मौत हो गई, जिनमें से अधिकांश देश के विभिन्न राज्यों से आए पर्यटक थे। हमले में यूएई और नेपाल के दो विदेशी नागरिकों की भी जान चली गई, जिससे यह हमला और भी अंतरराष्ट्रीय रूप से संवेदनशील बन गया है। हमलावरों ने दिनदहाड़े एक व्यस्त पर्यटन स्थल को निशाना बनाया, जिससे घाटी में एक बार फिर आतंक का साया गहराता दिखा।
पाकिस्तान ने खुद को हमले से अलग किया
घटना के कुछ ही घंटों बाद, पाकिस्तान सरकार की ओर से एक आधिकारिक बयान जारी किया गया। रक्षा मंत्री ख्वाजा आसिफ ने कहा, “पाकिस्तान का इस आतंकी हमले से कोई संबंध नहीं है। हम आतंकवाद के सभी रूपों को नकारते हैं और इस घटना की कड़ी निंदा करते हैं।” उन्होंने यह भी जोड़ा कि यह हमला भारत के अंदरूनी असंतोष का परिणाम है और इसका अंतरराष्ट्रीय सरहदों से कोई लेना-देना नहीं है। आसिफ ने कहा, “भारत सरकार को नागालैंड, मणिपुर, कश्मीर और छत्तीसगढ़ जैसे राज्यों में लोगों के असंतोष का सामना करना पड़ रहा है। यह हमला इन्हीं घरेलू परिस्थितियों की प्रतिक्रिया हो सकता है।” हालांकि उनके इस बयान को भारत में कई राजनीतिक विश्लेषक और सुरक्षा विशेषज्ञ एक “जिम्मेदारी से बचने का प्रयास” मान रहे हैं।
आतंकवाद के प्रति दोहरा रवैया?
पाकिस्तान की इस प्रतिक्रिया पर भारत की ओर से अभी तक कोई आधिकारिक बयान नहीं आया है, लेकिन सूत्रों के मुताबिक भारत सरकार पाकिस्तान की इस प्रतिक्रिया को गंभीरता से नहीं ले रही है। एक वरिष्ठ खुफिया अधिकारी के अनुसार, “हर बार की तरह पाकिस्तान आतंकवाद से पल्ला झाड़ता है, लेकिन सबूतों से इनकार नहीं किया जा सकता। पिछले कई हमलों की जांच में पाकिस्तान से आतंकी संगठनों के लिंक सामने आए हैं।” 2019 में पुलवामा आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के बालाकोट में एयर स्ट्राइक कर पाकिस्तान की आतंकवाद पर नीति को आड़े हाथों लिया था। अब एक बार फिर पाकिस्तान पर अंतरराष्ट्रीय दबाव बन सकता है, खासकर जब मारे गए लोगों में विदेशी नागरिक भी शामिल हों।
हमले की बर्बरता और पीड़ितों की पहचान
मंगलवार को पहलगाम के समीप एक लोकप्रिय पर्यटक स्थल पर आतंकी हमला हुआ। आतंकवादियों ने अचानक अंधाधुंध गोलियां बरसानी शुरू कर दी, जिसमें 26 लोगों की मौत हो गई। मारे गए लोगों में कर्नाटक, महाराष्ट्र, उत्तर प्रदेश और हरियाणा के पर्यटक शामिल हैं। घटना में कम से कम 10 लोग घायल भी हुए हैं, जिनमें गुजरात का एक व्यक्ति, तमिलनाडु के तीन और महाराष्ट्र के दो लोग शामिल हैं। सभी घायलों को श्रीनगर के सरकारी अस्पताल में भर्ती कराया गया है, जहां उनकी हालत गंभीर बनी हुई है।
पुलवामा के बाद सबसे बड़ा आतंकी हमला
यह हमला 2019 में हुए पुलवामा आतंकी हमले के बाद सबसे घातक माना जा रहा है। उस हमले में भी दर्जनों सुरक्षाकर्मी शहीद हो गए थे और भारत ने उसका सीधा जवाब बालाकोट एयरस्ट्राइक के रूप में दिया था। इस हमले ने न केवल कश्मीर घाटी में एक बार फिर असुरक्षा की भावना बढ़ा दी है, बल्कि यह पर्यटन पर भी सीधा असर डाल सकता है, जो घाटी की अर्थव्यवस्था की रीढ़ है। पहलगाम, जो गर्मियों में देश-विदेश के पर्यटकों से गुलजार रहता है, अब भय और सन्नाटे में डूबा हुआ है।
सुरक्षा एजेंसियों की जांच तेज
हमले के तुरंत बाद एनआईए (राष्ट्रीय जांच एजेंसी) और स्थानीय पुलिस की संयुक्त टीमों ने जांच शुरू कर दी है। प्रारंभिक रिपोर्ट्स के अनुसार हमले में कम से कम तीन आतंकी शामिल थे, जो एक जंगल से होकर मौके पर पहुंचे और हमले को अंजाम देने के बाद भाग निकले। ड्रोन, स्निफर डॉग्स और हाई-टेक निगरानी उपकरणों की मदद से सुरक्षा बलों ने पूरे इलाके को घेराबंदी में ले लिया है, और सर्च ऑपरेशन जारी है।
राजनीतिक प्रतिक्रियाएं
घटना को लेकर भारतीय राजनीति में भी हलचल है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने हमले की कड़ी निंदा करते हुए कहा कि “किसी भी निर्दोष नागरिक की जान जाने को हम बर्दाश्त नहीं करेंगे, दोषियों को जल्द सजा दी जाएगी।” वहीं विपक्षी दलों ने सरकार से मांग की है कि कश्मीर में सुरक्षा नीति पर पुनर्विचार किया जाए और यह सुनिश्चित किया जाए कि पर्यटकों और आम नागरिकों की सुरक्षा प्राथमिकता बने।
अंतरराष्ट्रीय स्तर पर प्रतिक्रिया संभव
चूंकि इस हमले में विदेशी नागरिक भी मारे गए हैं, ऐसे में यह मामला अब अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी उठ सकता है। संयुक्त राष्ट्र, अमेरिका, यूरोपीय संघ और मानवाधिकार संगठनों की नजर इस पर बनी हुई है। पाकिस्तान की ओर से इस हमले से पल्ला झाड़ना कोई नई बात नहीं है, लेकिन इस बार का हमला न केवल व्यापक पैमाने पर जानमाल की क्षति पहुंचाने वाला है, बल्कि इसमें विदेशी नागरिकों की मौत ने इसे और संवेदनशील बना दिया है। ऐसे में पाकिस्तान की भूमिका की निष्पक्ष और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर जांच जरूरी मानी जा रही है। भारत अब इस हमले के जरिए न केवल आंतरिक सुरक्षा व्यवस्था को और मजबूत करेगा, बल्कि अंतरराष्ट्रीय स्तर पर आतंकवाद के खिलाफ माहौल बनाने की भी कोशिश करेगा। आने वाले दिनों में इस पर भारत सरकार की रणनीति और भी स्पष्ट हो सकती है।