ज्योतिषाचार्य पं.अविनाश मिश्र शास्त्री (चित्रकूटधाम)

हिन्दू परंपरा में इसे पूज्य माना जाता है. अलग अलग देवों से अलग अलग वृक्ष उत्पन्न हुए, उस समय यक्षों के राजा_मणिभद्र से वटवृक्ष उत्पन्न हुआ।
बरगद का वृक्ष एक दीर्घजीवी विशाल वृक्ष है।
ऐसा मानते हैं इसके पूजन से और इसकी जड़ में जल देने से पुण्य प्राप्ति होती है.
यह वृक्ष त्रिमूर्ति का प्रतीक है , इसकी छाल में विष्णु ,जड़ में ब्रह्मा और शाखाओं में शिव का वास माना जाता है.
जिस प्रकार पीपल को विष्णु जी का प्रतीक माना जाता है , उसी प्रकार बरगद को शिव जी माना जाता है. यह प्रकृति के सृजन का प्रतीक है, इसलिए संतान के इच्छित लोग इसकी विशेष पूजा करते हैं.
यह बहुत लम्बे समय तक जीवित रहता है , अतः इसे “अक्षयवट” भी कहा जाता है.
अक्षयवट : जैसा की इसका नाम ही है अक्षय। अक्षय का अर्थ होता है जिसका कभी क्षय न हो, जिसे कभी नष्ट न किया जा सके। इसीलिए इस वृक्ष को अक्षय वट कहते हैं। वट का अर्थ बरगद, बढ़ आदि। इस वृक्ष को मनोरथ वृक्ष भी कहते हैं अर्थात मोक्ष देने वाला या मनोकामना पूर्ण करने वाला।
बरगद के वृक्ष का वैज्ञानिक और अनोखा महत्व क्या है ?
इसकी छाया सीधे मन पर असर डालती है , और मन को शांत बनाये रखती है
अकाल में भी यह वृक्ष हरा भरा रहता है , अतः इस समय पशुओं को इसके पत्ते और लोगों को इसके फल पर निर्वाह करना सरल होता है
इसकी डालियों और पत्तों से दूध निकलता है जिसका तांत्रिक प्रयोग होता है
इसकी छाल और पत्तों से औषधियां भी बनाई जाती हैं
बरगद के वृक्ष की किस प्रकार करें उपासना ताकि शनि की पीड़ा से मुक्ति मिले
वटवृक्ष की जड़ में भगवान् शिव का ध्यान करते हुए नियमित जल अर्पित करें
हर शनिवार को इस वृक्ष के तने में काला सूत तीन बार लपेटें
वहां दीपक जलाएं , और वृक्ष से कृपा की प्रार्थना करें
इसके बाद वहीँ वटवृक्ष के नीचे बैठकर शनि मंत्र का जाप करें
ये प्रयोग करने वाले को कभी भी कोई ग्रह पीड़ा नहीं दे सकता , चाहे वो शनि हो या राहु
बरगद के वृक्ष की किस प्रकार उपासना करें कि संतान की प्राप्ति हो
जहाँ तक संभव हो बरगद का वृक्ष लगायें और लगवाएं
हर सोमवार को बरगद की जड़ में जल डालें
इसके बाद उसके नीचे बैठकर “ॐ नमः शिवाय” का कम से कम 11 माला जाप करें
आपकी संतान उत्पत्ति की अभिलाषा शीघ्र से शीघ्र पूरी होगी
किस प्रकार बरगद के वृक्ष की उपासना से दाम्पत्य जीवन उत्तम होगा
अमावस्या के दिन पीली सूत, फूल और जल लेकर प्रातः काल वट वृक्ष के निकट जाएं
इसके बाद पहले वट वृक्ष के नीचे घी का दीपक जलाएं
फिर वृक्ष की जड़ में जल डालें और पुष्प अर्पित करें
वट वृक्ष की 9 बार परिक्रमा करें और पीली सूत उसके तने में लपेटते जाएँ
सुखद दाम्पत्य जीवन की प्रार्थना करें।
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