बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने शनिवार को राष्ट्रीय जनगणना, निर्वाचन क्षेत्रों के परिसीमन और भाषा नीति जैसे प्रमुख मुद्दों पर केंद्र और विभिन्न राज्य सरकारों के बीच चल रहे विवादों की कड़ी आलोचना की। मायावती ने एक्स पर लिखा कि पश्चिम के महाराष्ट्र, गुजरात तथा दक्षिण भारत के कर्नाटक, तमिलनाडु व केरल में बीएसपी संगठन के गठन की तैयारी व मजबूती एवं पार्टी के जनाधार को बढ़ाने आदि पर दिल्ली में हुई बैठक में गहन समीक्षा व आगे पूरे तन, मन, धन से पार्टी के कार्यों को दिशा-निर्देशानुसार बढ़ाने का संकल्प।मायावती ने आगे लिखा कि जनगणना व उसके आधार पर लोकसभा सीटों का पुनः आवंटन, नई शिक्षा नीति व भाषा थोपने आदि के इन राज्यों व केन्द्र के बीच विवाद के राजनीतिक स्वार्थ के लिए उपयोग से जन व देशहित का प्रभावित होना स्वाभाविक। गुड गवरनेन्स वही जो पूरे देश को संविधान के हिसाब से साथ लेकर चले। उन्होंने कहा कि वैसे भी सरकारी स्कूलों में पढ़ने वाले खासकर शोषित-उपेक्षित गरीबों, दलितों, आदिवासियों व पिछड़े वर्ग आदि के बच्चे-बच्चियाँ अंग्रेजी का ज्ञान अर्जित किए बिना आगे चलकर आईटी व स्किल्ड क्षेत्र में कैसे आगे बढ़़ सकते हैं, सरकार इस बात का जरूर ध्यान रखे। भाषा के प्रति नफरत अनुचित है।इससे पहले बहुजन समाज पार्टी (बसपा) प्रमुख मायावती ने समाजवादी पार्टी (सपा) पर निशाना साधते हुए पीडीए (पिछड़े, दलित, अल्पसंख्यक) अभियान की आड़ में राजनीतिक लाभ के लिए दलितों का शोषण करने का आरोप लगाया। बसपा नेता ने ‘एक्स’ पर सिलसिलेवार पोस्ट में कहा, “विदित है कि अन्य पार्टियों की तरह आए दिन सपा द्वारा भी पार्टी के खासकर दलित लोगों को आगे कर तनाव व हिंसा का माहौल पैदा करने वाले मामले सामने आ रहे हैं। इनकी अति विवादित बयानबाजी, आरोप-प्रत्यारोप और कार्यक्रम आदि का जो दौर चल रहा है, यह इनकी घोर संकीर्ण स्वार्थ की राजनीति ही प्रतीत होती है।”