
गोरखपुर : भारत गौरव डीलक्स एसी टूरिस्ट ट्रेन के माध्यम से भारत-भूटान मिस्टिक माउंटेन टूर की एक अनोखी और अविस्मरणीय यात्रा 28 जून 2025 से प्रारंभ हो रही है। यह विशेष यात्रा दिल्ली के सफदरजंग रेलवे स्टेशन से शुरू होगी और पूर्वोत्तर भारत की आध्यात्मिक, प्राकृतिक एवं सांस्कृतिक विरासत को समेटते हुए भूटान के शांत और सुरम्य स्थलों तक यात्रियों को लेकर जाएगी।
इस यात्रा का पहला पड़ाव गुवाहाटी होगा, जहाँ यात्री नीलाचल पहाड़ियों में स्थित प्राचीन और पवित्र कामाख्या मंदिर के दर्शन करेंगे। यह मंदिर भारत के प्रमुख शक्तिपीठों में से एक है और देवी उपासकों के लिए श्रद्धा का केंद्र है। गुवाहाटी से आगे यात्रा शिलांग की ओर बढ़ेगी, जिसे ‘पूर्व का स्कॉटलैंड’ कहा जाता है। यहाँ यात्री प्राकृतिक सौंदर्य और सांस्कृतिक विविधता का आनंद लेंगे। इसके बाद चेरापूंजी की एक दिवसीय यात्रा कराई जाएगी, जहाँ ‘सेवन सिस्टर्स जलप्रपात’, ‘नोहकलिकाई फॉल्स’ और ‘एलिफेंट फॉल्स’ जैसे विख्यात प्राकृतिक स्थल यात्रियों को मंत्रमुग्ध करेंगे। इसके बाद समूह शिलांग वापस लौटेगा।
इसके बाद यात्रा अपने अंतरराष्ट्रीय चरण में प्रवेश करेगी। पश्चिम बंगाल के हासीमारा रेलवे स्टेशन पर उतरने के पश्चात यात्री सड़क मार्ग द्वारा भूटान में प्रवेश करेंगे, जहाँ वे फुंटशोलिंग के रास्ते थिंपू पहुँचेंगे। थिंपू पहुँचने के बाद यात्रियों को आसपास के वातावरण को जानने और स्थानीय संस्कृति से जुड़ने का अवसर मिलेगा, रात्रि विश्राम की व्यवस्था वहीं होगी।
थिंपू में स्थानीय महत्वपूर्ण स्थानों का भ्रमण कराया जाएगा, जिसमें मोतीथांग चिड़ियाघर, नेशनल लाइब्रेरी, पारंपरिक चित्रकला विद्यालय, हस्तशिल्प बाज़ार और भव्य चोए द्ज़ोंग जैसे स्थल शामिल हैं। इसके बाद यात्रा हिमालय की बर्फीली चोटियों से होते हुए ऐतिहासिक दोचू ला दर्रा के माध्यम से पुनाखा की ओर बढ़ेगी। पुनाखा में यात्री प्रसिद्ध पुनाखा द्ज़ोंग देखेंगे, जो फो चू (पुरुष नदी) और मो चू (स्त्री नदी) के संगम पर स्थित है और भूटान के सबसे सुंदर व विशाल द्ज़ोंग में से एक माना जाता है।
भूटान यात्रा का अंतिम चरण पारो में सम्पन्न होगा, जो अपनी सीढ़ीनुमा धान के खेतों, पारंपरिक फार्महाउसों और गहन आध्यात्मिक वातावरण के लिए प्रसिद्ध है। पारो में यात्रा के दौरान यात्रियों को लामपेरी रॉयल बॉटनिकल पार्क, भूटान की UNESCO टेंटेटिव सूची में शामिल तामचोग ल्हाखांग आयरन ब्रिज, विश्वप्रसिद्ध टाइगर्स नेस्ट मठ (तकत्संग ल्हाखांग) और भूटान का राष्ट्रीय संग्रहालय देखने को मिलेगा, जो इस हिमालयी राष्ट्र की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत की झलक प्रदान करता है।
यात्रा को और अधिक यादगार बनाने के लिए यात्रियों को भूटान के राष्ट्रीय खेल तीरंदाज़ी (आर्चरी) का अनुभव कराया जाएगा, साथ ही पारंपरिक हॉट स्टोन बाथ में विश्राम की सुविधा भी दी जाएगी। इसके पश्चात समूह भूटान से विदा लेकर भारत लौटेगा और अगले दिन दिल्ली पहुँचेगा।