वासुदेव द्वादशी का व्रत भगवान कृष्ण को समर्पित होता है. ये देवशयनी एकादशी के अगले दिन, आषाढ़ मास के दौरान मनाई जाती है. ये चातुर्मास की शुरुआत का प्रतीक होता है.इस दिन भगवान कृष्ण मां लक्ष्मी की पूजा की जाती है. धार्मिक मान्यता के अनुसार वासुदेव द्वादशी के दिन भगवान श्रीकृष्ण के साथ-साथ मां लक्ष्मी की भी पूजा होती है. कहा जाता है कि इस व्रत को करने से भक्तों की इच्छा पूरी होती है.
आषाढ़, श्रवण, भाद्रपद अश्विन के चार महीनों के लिए कठोर तपस्या करने वाले भक्त उल्लेखनीय लाभ आत्मा की मुक्ति प्राप्त कर सकते हैं. पुराणों के अनुसार, भगवान विष्णु एकादशी का प्रतिनिधित्व करते हैं देवी महालक्ष्मी द्वादशी का प्रतिनिधित्व करती हैं. तो, चलिए इस दिन की पूजा के साथ कुछ मंत्रों का जाप भी बेहद जरूरी होता है.
वासुदेव द्वादशी 2022 मंत्र
ॐ नमो भगवते वासुदेवाय नमः
मंत्र का अर्थ –
ओम – ओम यह ब्रंह्माडीय व लौकीक ध्वनि है.
नमो – अभिवादन व नमस्कार.
भगवते – शक्तिशाली, दयालु व जो दिव्य है.
वासुदेवयः – वासु का अर्थ हैः सभी प्राणियों में जीवन देवयः का अर्थ हैः ईश्वर. इसका मतलब है कि भगवान जो सभी प्राणियों का जीवन है.
वासुदेव भगवान! अर्थात् जो वासुदेव भगवान नर में से नारायण बने, उन्हें मैं नमस्कार करता हूं. जब नारायण हो जाते हैं, तब वासुदेव कहलाते हैं.