साढ़ेसाती, ढैया ,व्यापार, नौकरी और स्वास्थ्य संबंधी संकटों से मिलेगी मुक्ति
ज्योतिषाचार्य पं.अविनाश मिश्र शास्त्री (चित्रकूटधाम)
हिंदू धर्म में प्रत्येक देवी-देवता की जयंती को विशेष महत्व दिया गया है। देवी-देवताओं की जयंती पर भक्त पूजा पाठ और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। इसी तरह कर्मफल दाता शनि देव की जयंती पर भी विधि-विधान से लोग उनकी पूजा और धार्मिक अनुष्ठान करते हैं। यह पर्व हर वर्ष ज्येष्ठ माह की अमावस्या तिथि को मनाया जाता है और इस दिन विशेष रूप से पूजा के साथ ही व्रत, दान-पुण्य आदि का भी बड़ा महत्व है। शनि जयंती मई में किस दिन मनाई जाएगी, इस दिन का हिंदू धर्म में क्या महत्व है, आइए जानते हैं।
शनि जयंती 2025 की तिथि और मुहूर्तसाल 2025 में शनि जयंती 27 मई 2025, मंगलवार को मनाई जाएगी। हृषीकेश पंचांग के अनुसार, अमावस्या तिथि 26 मई को दोपहर 10 बजकर 55 मिनट से आरंभ होकर 27 मई को सुबह 8 बजकर 30 मिनट तक रहेगी। ज्येष्ठ माह में पड़ने वाले मंगलवार को बड़ा मंगल कहा जाता है। ऐसे में 27 मई को शनि जयंती और बड़ा मंगल का दुर्लभ संयोग है। यही वजह है कि इस दिन को धार्मिक और आध्यात्मिक दृष्टि से बेहद शक्तिशाली माना जा रहा है ज्येष्ठ अमावस्या को ही शनि देव का जन्म माना जाता है, जो सूर्य देव और उनकी पत्नी छाया के पुत्र हैं।
शनि देव हैं कर्म और न्याय के देवता-शनि को नवग्रहों में न्यायाधीश की उपाधि प्राप्त है। वे हर व्यक्ति को उसके कर्मों के अनुसार फल प्रदान करते हैं, चाहे वह पुण्य हो या पाप। शनि की दृष्टि जहां एक ओर दंड देने वाली मानी जाती है, वहीं यदि व्यक्ति ने अच्छे कर्म किए हों तो उनकी दृष्टि उसे अत्यंत उच्च स्थान तक पहुंचाने का काम सकती है।
शनि जयंती का महत्व-शनि जयंती का पर्व शनि दोष, साढ़ेसाती, ढैया और शनि की प्रतिकूल दृष्टि से उत्पन्न समस्याओं से राहत पाने का श्रेष्ठ अवसर माना जाता है। इस दिन भक्त उपवास रखते हैं, शनि मंदिरों में दर्शन करते हैं और शनि देव से जुड़ी चीजों जैसे- तिल, तेल, लोहे के पात्र आदि का दान करते हैं। शनि जयंती पर पूजा से न केवल ग्रह पीड़ा कम होती है, बल्कि जीवन में स्थिरता, स्वास्थ्य और समृद्धि भी आती है।
शनि जयंती के लाभ-शनि जयंती पर दान-पुण्य और पूजा करने से शनि की क्रूर दृष्टि और दशा का बुरा असर कम पड़ जाता है। आर्थिक परेशानियों से राहत मिलती है और करियर में स्थिरता और उन्नति आप प्राप्त करते हैं। दीर्घकालिक रोगों से भी आपको शनि देव की पूजा करने से मुक्ति मिल जाती है। शनि जयंती का दिन मानसिक शांति और आध्यात्मिक विकास के लिए भी शुभ माना जाता है। शत्रु और नकारात्मक ऊर्जा से भी आपको राहत मिलती है।
अपराजिता का फूल शनिदेव को अति प्रिय है, यह नीले रंग का फूल शनिदेव को तो अर्पित किया जाता है, साथ ही भगवान शिव को भी यह फूल चढ़ाने की परंपरा है, शनि जयंती पर अगर कोई जातक 5, 7, 11 अपराजिता के फूल शनिदेव के चरणों में अर्पित करता है तो शनिदेव प्रसन्न होकर साढ़ेसाती और ढैया के प्रभाव को कम कर देते हैं।
इस दिन ‘ॐ शं शनैश्चराय नमः’ या ‘ॐ प्रां प्रीं प्रौं स: शनैश्चराय नमः’ का 108 बार जाप करें।
शनि जयंती के दिन हनुमान मंदिर जाकर चमेली के तेल का दीपक जलाएं और हनुमान चालीसा या सुंदरकांड का पाठ करें। शनिदेव को सरसों के तेल से अभिषेक करें। शाम के समय पीपल के पेड़ के नीचे सरसों के तेल का दीपक जलाएं और शनि स्तोत्र का पाठ करें।

“ज्योतिष शास्त्र, वास्तुशास्त्र, वैदिक अनुष्ठान व समस्त धार्मिक कार्यो के लिए संपर्क करें: –
श्री रामकृष्ण ज्योतिष केन्द्र श्रीरामकृष्णज्योतिष अनुष्ठान केन्द्र संपर्क सूत्र:-7389695052,8085152180