लखनऊ।कल्याणी विश्वविद्यालय और आईसीएआर-एनबीएफजीआर के बीच हाल ही में एक समझौता ज्ञापन हस्ताक्षरित किया गया जो मत्स्य आनुवंशिक संसाधनों में सहयोगी अनुसंधान और शैक्षिक सहयोग को आगे बढ़ाने में एक महत्वपूर्ण कदम है। इस साझेदारी का एक प्रमुख आकर्षण ‘अभय पुकुर’ मछली अभयारण्यों की स्थापना और प्रबंधन है, जिसका उद्देश्य जैव विविधता संरक्षण को बढ़ावा देते हुए लुप्तप्राय स्वदेशी प्रजातियों का संरक्षण करना है। समझौता ज्ञापन के उपरांत कल्याणी विश्वविद्यालय द्वारा अपने शोध छात्रों को आईसीएआर-एनबीएफजीआर के वैज्ञानिकों निर्देशन में पीएचडी करने की अनुमति दी जाएगी जहाँ छात्र अकादमिक उत्कृष्टता सुनिश्चित करने के लिए आईसीएआर-एनबीएफजीआर में अनिवार्य कोर्स वर्क कर सकेंगे। प्रजाति संरक्षण के अतिरिक्त यह समझौता जैव प्रौद्योगिकी, जैव सूचना विज्ञान, जलीय पारिस्थितिकी तंत्र प्रबंधन और क्रायोप्रिजर्वेशन में संयुक्त अनुसंधान की सुविधा प्रदान करेगा, तथा कार्यशालाओं और विशेषज्ञों के आदान-प्रदान के माध्यम से संकाय विकास कार्यक्रमों को बढ़ावा देगा। आईसीएआर-एनबीएफजीआर के निदेशक के नेतृत्व में इन पहलों को सफलतापूर्वक लागू करने, अनुसंधान बुनियादी ढांचे के प्रभावी उपयोग को सुनिश्चित करने तथा टिकाऊ मत्स्य पालन एवं जलीय आनुवंशिक संरक्षण में नवाचार लाने में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने की उम्मीद है।
