मिशन-2024 को लेकर भगवा खेमा इन दिनों किसानों के बीच पैठ बढ़ाने में जुटा है। यूपी के विधानसभा चुनाव से पहले किसान आंदोलन के चलते पार्टी तनाव में थी। आशंका थी कि कहीं नुकसान न हो जाए, हालांकि तमाम आशंकाओं को दरकिनार कर पार्टी ने फिर पूर्ण बहुमत हासिल किया। मगर किसान आंदोलन से सबक लेकर पार्टी ने गांव-गांव संगठन के विस्तार की कवायद शुरू कर दी। किसान मोर्चा को इसका जिम्मा सौंपा गया है। मोर्चा ने अब तक 42 हजार से अधिक गांवों में किसान समितियां गठित कर दी हैं।किसान आंदोलन के नाम पर विपक्षी दलों ने भाजपा को घेरने की कोशिश की थी। अब ऐसा न हो, इसके लिए पार्टी ने फील्डिंग सजा दी है। प्रदेश में 58 हजार से अधिक ग्राम पंचायतें हैं। भाजपा किसान मोर्चा इन ग्राम पंचायतों में सांगठनिक जाल फैलाने में जुटा है। हर गांव में 11 सदस्यों की किसान समिति बनाई जा रही है। यह पहला मौका है जब भाजपा हर गांव तक अपना सांगठनिक ढांचे के विस्तार और उसे मजबूती देने में जुटी है।
विपक्षी प्रोपेगंडा रोकने को बनेंगी हथियार
इन किसान समितियों के जरिए भगवा खेमा जहां पार्टी की बात पहुंचाएगा, वहीं केंद्र और राज्य सरकार की तमाम योजनाएं भी किसानों को समझाई जाएंगी। पार्टी की मानें तो किसान मोर्चा की इन समितियों का सबसे बड़ा प्रयोग गांवों और किसानों के बीच विपक्षी प्रोपेगंडा की रोकथाम के लिए किया जाएगा। खासतौर से पश्चिमी यूपी के उस इलाके पर फोकस किया जा रहा है, जहां सपा-रालोद गठबंधन ने स्थानीय समीकरणों की मदद से विधानसभा चुनावों में सफलता हासिल कर ली थी।