हिंदू पंचांग के अनुसार, प्रत्येक वर्ष सावन माह के शुक्ल पक्ष की तृतीया तिथि पर तीज का त्योहार मनाया जाता है।
इसे हरियाली तीज या श्रावणी तीज भी कहा जाता है। इस साल ये व्रत 31 अगस्त 2022 को रखा जाएगा। इस दिन सुहागिन महिलाएं पति की लंबी आयु के लिए निर्जला व्रत रखती हैं। इस दिम माता पार्वती और भगवान शिवजी की पूजा करने का विधान है। सुहागिन महिलाओं के अलावा कुंवारी लड़कियां भी अच्छे वर की कामना के साथ हरियाली तीज का व्रत रखती हैं। इस दिन महिलाएं सोलह श्रृंगार करती हैं। हरियाली तीज पर हरे रंग का महत्व होने की वजह से महिलाएं इस दिन हरी साड़ी और हरी कांच की चूड़ियां जरूर पहनती हैं। इस दिन विधि-विधान से पूजा करने के अलावा हरियाली तीज की कथा भी जरूर पढ़नी या सुननी चाहिए। तभी व्रत सफल माना जाता है। आइए जानते हैं हरियाली तीज की कथा के बारे में…
हरियाली तीज व्रत कथा
भगवान शिव माता पार्वती को उनके पूर्व जन्म का स्मरण कराते हुए कहते हैं- हे पार्वती! तुमने मुझे पति के रूप में पाने के लिए हिमालय पर कठिन तप किया था। तुमने अन्न-जल का त्याग कर सर्दी, गर्मी और बरसात जैसे सभी ऋतुओं का कष्ट सहा। यह देखकर तुम्हारे पिताजी पर्वतराज बहुत दुखी थे। एक दिन नारद मुनि तुम्हारे घर पधारे और उन्होंने तुम्हारे पिता से कहा- मैं विष्णुजी के भेजने पर आया हूं। विष्णुजी आपकी कन्या की तपस्या से प्रसन्न हुए हैं और उनके साथ विवाह करना चाहते हैं।
नारद मुनि की बात सुनकर पर्वतराज अत्यंत प्रसन्न हुए और उन्होंने नारद जी से कहा कि वे इस प्रस्ताव को स्वीकार करते हैं और अपनी पुत्री पार्वती का विवाह भगवान विष्णु के साथ कराने के लिए तैयार हो गए। यह सुनते ही नारद मुनि भगवान विष्णु के पास पहुंचे और उन्हें सूचित किया।
आगे शिवजी माता पार्वती से कहते हैं, लेकिन तुम्हारे पिता ने जब यह खबर तुम्हें सुनाई तो तुम्हें अत्यंत दुख हुआ, क्योंकि तुम मन से मुझे पति के रूप में स्वीकार कर चुकी थी। तब तुमने अपने मन की पीड़ा अपनी एक सखी को बताई। इस पर सखी ने तुम्हें एक घनघोर जंगल में रहने का सुझाव दिया। तुम जंगल चली गई और जंगल में तुमने मुझे प्राप्त करने के लिए खूब तपस्या की। जब तुम्हारे लुप्त होने की बात पिता पर्वतराज को पता चली तो वे अत्यंत दुखी और चिंतित हुए। वे सोचने लगे कि यदि इस बीच विष्णुजी बारात लेकर आए तो क्या होगा।
शिवजी माता पार्वती से आगे कहते हैं, तुम्हारे पिता पर्वतराज ने तुम्हारी खोज में धरती पाताल एक कर दिया। लेकिन तुम उन्हें न मिली। क्योंकि तुम एक गुफा में रेत से शिवलिंग बनाकर मेरी आराधना करने में लीन थी। तब मैं तुम्हारी तपस्या से प्रसन्न हुआ और तुम्हारी मनोकामना पूरी करने का तुम्हें वचन दिया। इस बीच तुम्हारे पिता भी ढूंढते हुए गुफा तक पहुंचे। तुमने अपने पिता को सारी बाते बताई। तुमने पिता को बताया कि तुमने अपना जीवन शिव को पति के रूप में प्राप्त करने के लिए तप में बिताया है और आज वह तपस्या सफल हो गई। तुमने पिता से कहा कि मैं आपके साथ तभी चलूंगी जब आप मेरा विवाह शिवजी से कराएंगे। पर्वतराज मान गए और उन्होंने विधि-विधान से हमारा विवाह कराया।