रुद्राक्ष को बहुत ही चमत्कारी माना जाता है। ऐसा माना जाता है कि उनका जन्म भगवान भोलेशंकर के आंसुओं से हुआ था। ऐसे में वह भोले बाबा के बेहद प्रिय हैं। भगवान शिव को मानने वाले लोग रुद्राक्ष धारण करते हैं।
रुद्राक्ष कई प्रकार के होते हैं और वे विभिन्न मनोकामनाओं से संबंधित होते हैं। भोलेनाथ के कई भक्त रुद्राक्ष धारण तो करते हैं लेकिन नियमों का पालन नहीं करते। ऐसे में उन्हें फल नहीं मिलता, उल्टा नुकसान होने लगता है।

इसे ऐसे पहनें
रुद्राक्ष को लाल, पीले या सफेद धागे में ही धारण करना चाहिए। साथ ही इसे चांदी, सोने या तांबे में भी धारण किया जा सकता है। जब भी रुद्राक्ष धारण करें तो उस समय ‘ॐ नमः शिवाय’ का जाप करना न भूलें। रुद्राक्ष हमेशा स्नान के बाद धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष हमेशा अपने पैसे से ही खरीदें, किसी और का खरीदा हुआ या उपहार में दिया हुआ रुद्राक्ष धारण न करें और अपना रुद्राक्ष किसी और को न दें। रुद्राक्ष धारण करने से पहले किसी साधु, संत या पुजारी को बुलाएं। रुद्राक्ष हमेशा विषम संख्या में ही धारण करना चाहिए। रुद्राक्ष की माला कभी भी 27 मनकों से कम न बनवाएं। ऐसा करने से शिव दोष लगाया जा सकता है। रुद्राक्ष धारण करने से एकाग्रता और याददाश्त मजबूत होती है। ऐसा मानने से सभी पाप समाप्त हो जाते हैं। यह जीवन में सुख-शांति लाता है और कुंडली से सभी बुरे प्रभावों को दूर करता है। इसे धारण करने से ऊर्जा और शक्ति बढ़ती है, साथ ही तनाव और रक्तचाप को कम करने में मदद मिलती है। इसे धारण करने से त्वचा संबंधी रोग दूर होते हैं।

इन नियमों का पालन करें
जो लोग मांसाहार करते हैं और शराब पीते हैं या धूम्रपान करते हैं उन्हें रुद्राक्ष नहीं पहनना चाहिए। ऐसा करने से रुद्राक्ष अशुद्ध हो जाता है और व्यक्ति को कई तरह की परेशानियों का सामना करना पड़ सकता है। साथ ही श्मशान घाट जाने से पहले घर में ही रुद्राक्ष की माला उतार दें। अगर आप गलती से रुद्राक्ष नहीं उतार सकते तो श्मशान में प्रवेश करने से पहले उसे उतारकर अपनी जेब में रख लें। रुद्राक्ष को रात को सोते समय भी उतार देना चाहिए। रुद्राक्ष उतारकर तकिए के नीचे रखने से अच्छी नींद आती है और बुरे सपने दूर रहते हैं। नवजात शिशु के जन्म स्थान पर जाने से पहले रुद्राक्ष को उतार देना चाहिए।