पाकिस्तान ने भारत से भिड़ने की हिमाक़त तो कर ली है, लेकिन सवाल है कि इसका अंजाम क्या होगा. क्या जिस कदर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ को भरी संसद में उनके ही नेता बुजदिल बता रहे हैं, वो पाकिस्तान में एक और तख्तापलट का इशारा है. क्या पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने जिस कदर पाकिस्तानी आर्मी चीफ आसिम मुनीर पर भरोसा जताया है, वो पाकिस्तान को फिर से मॉर्शल लॉ की ओर धकेलने का इशारा है. क्या जिस कदर बलूचिस्तान में बलोच लिबरेशन आर्मी ने तबाही मचाई है और अफगानिस्तान-ईरान सीमा पर एक तिहाई बलूचिस्तान पर कब्जे का दावा किया है, वो इस बात का इशारा है कि पाकिस्तान टूट की ओर बढ़ रहा है. आखिर भारत के हाथों बुरी तरह मात खा रहे पाकिस्तान का भविष्य क्या है?
सबसे पहले बात पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ की. भारत के ऑपरेशन सिंदूर के बाद पाकिस्तानी प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने बंदरघुड़की दी कि भारत गंभीर परिणाम भुगतने के लिए तैयार रहे. तो भारत तैयार था. पाकिस्तान ने ड्रोन से और मिसाइल से हमला किया. भारतीय सेना ने हर हमला नाकाम किया. जब पाकिस्तान की आम अवाम को भी लगने लगा कि वो कमजोर पड़ रहे हैं तो पाकिस्तान के सांसद शाहिद खट्टक ने भरी संसद में प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ को बुजदिल करार देते हुए कह दिया कि अगर किसी देश का लीडर ही बुजदिल हो तो उसकी सेना जंग नहीं जीत सकती.
शाहिद खट्टक का ये बयान पाकिस्तान में वायरल है और सवाल शाहबाज शरीफ पर उठने लगे हैं क्योंकि पाकिस्तान का इतिहास है कि वहां का कोई भी प्रधानमंत्री आज तक अपना कार्यकाल पूरा नहीं कर पाया है. जब भी पाकिस्तान का नेतृत्व थोड़ा कमजोर पड़ा है, वहां की सेना ने तुरंत तख्तापलट किया है. अभी शाहबाज शरीफ कमजोर दिख रहे हैं तो पाकिस्तानी सेना आपदा में अवसर की तलाश कर सकती है. बाकी पाकिस्तानी सेना को अवसर तो पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने भी दे ही रखा है.
अभी पाकिस्तान की सुप्रीम कोर्ट ने पाकिस्तानी सेना के मुखिया आसिम मुनीर को खुली छूट दे दी है कि वो पाकिस्तान के सामान्य नागरिकों पर भी मिलिट्री कोर्ट में मुकदमा चला सकते हैं. इसका मतलब ये है कि पाकिस्तान के सुप्रीम कोर्ट ने आसिम मुनीर को खुली छूट दे दी है.
आसिम इसका फायदा उठाकर अपने सभी सियासी दुश्मनों को भी निबटा सकते हैं, जिसमें सबसे बड़ा नाम आसिम के सबसे बड़े विरोधी इमरान खान का है, लेकिन जब सेना को एक बार ताकत मिलती है तो वो अपने दुश्मनों को ही नहीं सियासी दोस्तों को भी निबटाती है. ऐसे में इमरान खान के बाद आसिम मुनीर की नजर शाहबाज शरीफ पर भी टेढ़ी हो सकती है. बाकी बदलती राजनीति में शाहबाज कमजोर पड़ ही गए हैं तो आसिम मुनीर को तख्तापलट से रोकने वाला भी कोई नहीं है.
पाकिस्तान की राजनीति में इस हलचल के अलावा एक चुनौती बलूचिस्तान भी है, जहां बलूचिस्तान लिबरेशन आर्मी (BLA) ने पाकिस्तानी सेना के दांत खट्टे कर दिए हैं. बीएलए तो यहां तक दावा कर रहा है कि उसका एक तिहाई बलूचिस्तान पर कब्जा हो गया है. भले ही अभी इस दावे को पाकिस्तान नकार दे, लेकिन बलूचिस्तान में बीएलए की ताकत से तो किसी को इनकार नहीं है और बीएलए भी इस राजनीतिक आपदा में अपने लिए अवसर तो तलाश कर ही रहा है. रही सही जो कसर है, वो भी कुछ दिनों में पूरी हो ही जाएगी, क्योंकि पाकिस्तान के पास सच में पैसा नहीं है. गरीबी और महंगाई अपने चरम पर है.
बेरोजगारों की फौज यूं ही सड़कों पर भटक रही है. पैसे के लिए पाकिस्तान को इंटरनेशनल मॉनेट्री फंड (IMF) और दूसरे वैश्विक संगठनों का मुंह देखना पड़ रहा है, लेकिन जिस तरह से वो भारत से उलझा है, उसमें पाकिस्तान की मदद करने के लिए फिलहाल कोई तैयार नहीं है. ऐसे में अभी वक्त है वेट एंड वॉच का. तो इंतजार करिए.