भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का ऐलान होने के बाद दोनों देशों में माहौल एकदम अलग है. पाकिस्तान में कई जगह जश्न मनाया गया.
भारत-पाक सरहद पर अभी भी तनाव है, लेकिन दोनों देशों में माहौल एकदम अलग नजर आ रहा है. शनिवार शाम को अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा भारत और पाकिस्तान के बीच संघर्ष विराम का ऐलान करने के बाद से भारत में एक तरह की चुप्पी पसरी है जबकि पाकिस्तान में जश्न का माहौल है.
संघर्ष विराम को पाकिस्तान के प्रधानमंत्री शाहबाज शरीफ ने अपनी जीत बताया है, जबकि भारत में बहुत से लोगों ने इस पर हैरत जताई है. शनिवार शाम राष्ट्र के नाम एक संदेश में शरीफ ने कहा, “यह ना सिर्फ हमारी सेनाओं की बल्कि पूरे देश की जीत है.”
शरीफ ने कहा कि फौज ए पाकिस्तान ने दुश्मन को ऐतिहासिक और मुंह तोड़ जबाव दिया. उन्होंने कहा, “आपने दुनिया को ये साफ कर दिया है कि पाकिस्तानी एक खुद्दार और गैरतमंद कौम है. हमारी इज्जत, हमारा वकार और खुद्दारी हमें जान से भी ज्यादा अजीज है. कोई हमारी खुदमुख्तारी को चैलेंज करे तो हम अपनी जर-जमीन की सुरक्षा के लिए सीसा पिलाई दीवार बन जाते हैं.”
उधर भारत में अब तक प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की तरफ से इस समझौते पर अब तक कोई टिप्पणी नहीं आई है. समझौते के बारे में देश को बताते हुए भारत के विदेश मंत्री डॉ. एस. जयशंकर ने सोशल मीडिया साइट एक्स पर लिखा, “आज सैन्य कार्रवाई और गोलाबारी रोकने पर एक भारत और पाकिस्तान एक सहमति पर पहुंच गए हैं. आतंकवाद के हर प्रकार और रूप पर भारत का रुख अटल और स्पष्ट है. यह ऐसा ही बना रहेगा.”
भारत में प्रतिक्रिया
इस समझौते ने भारत में बहुत से लोगों को हैरान कर दिया. इनमें भारतीय जनता पार्टी के आम समर्थकों से लेकर पूर्व सेना अधिकारी और सैन्य कार्रवाई में सरकार का साथ दे रहे विपक्षी नेता भी शामिल थे. पूर्व भारतीय सेना प्रमुख जनरल वेद प्रकाश मलिक ने ट्विटर पर लिखा, “संघर्षविराम 10 मई 2025: हमने भारत के भविष्य के इतिहास को यह पूछने के लिए छोड़ दिया है कि पाकिस्तानी आतंकवादी हमले (22 अप्रैल को पहलगाम में) के बाद अपने बल प्रयोग और गैर-बल प्रयोग वाली कार्रवाइयों से भारत ने कोई राजनीतिक या रणनीतिक लाभ हासिल किया या नहीं.”
पूर्व सेना प्रमुख जनरल मनोज नरवणे ने कहा, “आज शाम 5 बजे से भूमि, समुद्र और वायु में सैन्य अभियानों का रोकना एक स्वागत योग्य कदम है. हालांकि, हमें एक स्थायी और दीर्घकालिक समाधान तक पहुंचने के लिए अन्य मोर्चों पर दबाव बनाए रखना होगा. हम हर बार घटनाओं पर आधारित प्रतिक्रिया देकर अपने लोगों की जान नहीं गंवा सकते. यह तीसरी बार है, अब आगे कोई और मौका नहीं.”
विपक्षी नेताओं ने अचानक घोषित हुए संघर्ष विराम का स्वागत तो किया लेकिन कई पक्षों ने निराशा भी जाहिर की. कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने समाचार एजेंसी एएनआई से बातचीत में कहा, “हम उस स्थिति पर पहुंच गए थे जहां तनाव अनावश्यक रूप से नियंत्रण से बाहर जा रहा था. हमारे लिए शांति जरूरी है. सच तो यह है कि 1971 के हालात 2025 के हालात नहीं हैं. इनमें अंतर है… यह ऐसा युद्ध नहीं था जिसे हम जारी रखना चाहते थे. हमारा उद्देश्य सिर्फ आतंकवादियों को सबक सिखाना था, और वह सबक सिखा दिया गया है. मुझे यकीन है कि सरकार पहलगाम की भयावह घटनाओं को अंजाम देने वाले व्यक्तियों की पहचान करने और उन्हें पकड़ने के प्रयास जारी रखेगी.”
कांग्रेस नेता सचिन पायलट ने कहा, “भारतीय सशस्त्र बलों ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि वे किसी से कम नहीं हैं. पिछले 24 घंटों में घटनाक्रम बहुत तेजी से बदला है. हमें इस बात से आश्चर्य हुआ कि अमेरिकी राष्ट्रपति डॉनल्ड ट्रंप ने संघर्षविराम की घोषणा की, यह पहली बार हुआ है. उनके सोशल मीडिया पोस्ट में जो लिखा गया है, वह महत्वपूर्ण है. यह कश्मीर मुद्दे का अंतर्राष्ट्रीयकरण करने का प्रयास है.”
संघर्ष विराम का उल्लंघन
संघर्ष विराम की इस घोषणा से पहले सीमा के दोनों ओर कई दिनों तक तनाव और रातभर मिसाइल हमले जारी रहे. घोषणा के कुछ घंटों बाद, भारतीय विदेश सचिव विक्रम मिस्री ने पड़ोसी देश पर संघर्षविराम का उल्लंघन करने का आरोप लगाया.
प्रेस ब्रीफिंग में मिस्री ने कहा कि दोनों देशों के सैन्य संचालन प्रमुखों के बीच हुई सहमति का उल्लंघन हुआ है. उन्होंने कहा कि भारतीय सशस्त्र बल “उचित और पर्याप्त” जवाब दे रहे हैं. विदेश सचिव ने कहा, “हम पाकिस्तान से आग्रह करते हैं कि वह इन उल्लंघनों को गंभीरता और जिम्मेदारी के साथ हल करने के लिए आवश्यक कदम उठाए.”
टाइम्स नाऊ समाचार चैनल के अनुसार, जम्मू-कश्मीर की राजधानी श्रीनगर में विस्फोटों की आवाजें सुनी गईं और कई सीमावर्ती क्षेत्रों में संदिग्ध ड्रोन घुसपैठ के चलते ब्लैक आउट कर दिए गए. भारत-पाकिस्तान सीमा के पश्चिमी क्षेत्र में भी इसी तरह की घुसपैठ की रिपोर्टें मिली हैं.