02 साल में 33 शिकायतें, लेकिन अवैध कब्जा और निर्माण बरकरार।
करोड़ों की जमीन पर जबरदस्ती कब्जा और अवैध निर्माण।
फर्जी दस्तावेजों से बिजली का कनेक्शन,
राजस्व विभाग,पुलिस एवं बिजली विभाग की मिलीभगत से परवान चढ़ता भ्रष्टाचार
संजय सिंह श्रीवास्तव
खरी कसौटी
पिछ्ले अंकों में हमने प्रकाशित किया था कि जनसुनवाई पोर्टल में जनता की कितनी सुनवाई हो पा रही है? प्रदेश के आंकड़ों के हिसाब से जनसुनवाई के माध्यम से जनता की समस्याओं का निदान किए जाने का प्रतिशत बहुत कम है जबकि सरकारी आंकड़ों के हिसाब से जनसुनवाई में दर्ज शिकायतों का निस्तारण किया जा चुका है और यह प्रक्रिया सही ढंग से चल रही है और जनता को न्याय भी मिल रहा है या नहीं। आज हम गोरखपुर जनपद के एक मामले को लेकर जनसुनवाई पोर्टल का विश्लेषण कर रहे हैं जिसमें यह तय होना है कि न्यायोचित ढंग से पीड़ित को क्या न्याय मिला है जवाब फिर वही है कि जमीनी स्तर पर स्थिति कुछ और है और सरकारी कागजों पर निस्तारण की रिपोर्ट कुछ और कहती है। जनसुनवाई पोर्टल का उद्देश्य शायद यह था की आम जनता को छोटे-छोटे मामलों के लिए न्यायालय का बोझ बढ़ाने के बजाय तत्काल निस्तारण व्यवस्था की प्राथमिकता होगी लेकिन यह उद्देश्य प्रशासन भूल चुका है और यह व्यवस्था अपने उद्देश्य से भटक कर कहीं और जा चुकी है।गोरखपुर के गोला तहसील के ग्राम अहरौली के संतोष कुमार जो कि वहां के स्थायी निवासी हैं वे विगत 5 वर्षों से लगातार जनसुनवाई पोर्टल पर इस बात की शिकायत कर रहे हैं कि उनकी पुश्तैनी जमीन जोकि करोड़ों की है उसपर देवनाथ यादव पुत्र राम लगन यादव ग्राम मरवटिया उर्फ मिश्रवलिया थाना गोला व तहसील गोला के निवासी ने अवैध रूप से कब्जा कर लिया है इस जमीन को बेचने के लिए संतोष कुमार एवं उनके परिवार के अन्य सदस्यों ने जो कि उपरोक्त जमीन के हिस्सेदार हैं उन्होंने देवनाथ यादव जो कि उत्तर प्रदेश पुलिस का रिटायर्ड पुलिस कर्मी है उससे बेचने के लिए बात की थी उपरोक्त आबादी की जमीन में 6 हिस्सेदार हैं जिनमें से तीन- चार हिस्सेदार बाहर रहकर जीवन यापन करते हैं देवनाथ यादव पुत्र राम लखन यादव ग्राम मरवटिया ने गोरखपुर में उपलब्ध उपरोक्त जमीन के कुछ हिस्सेदारों से जमीन खरीदने के लिए बातचीत की और कहा कि कुछ पैसा हम एडवांस दे दे रहे हैं शेष रकम उपरोक्त भूमि के रजिस्ट्री के समय आप लोगों को दी जाएगी जमीन के हिस्सेदारों ने कहा कि जमीन की रजिस्ट्री सर्किल रेट के हिसाब से ही की जाएगी और उसी हिसाब से स्टांप ड्यूटी का भुगतान करते हुए रजिस्ट्री की कार्यवाही पूरी की जाएगी। देवनाथ यादव ने संतोष कुमार एवं कुछ अन्य हिस्सेदारों को कुछ पैसा एडवांस के तौर पर दिया बाहर रहने वाले हिस्सेदारों को देवनाथ यादव ने कोई भी रकम ना तो उन्हें दी और ना ही उनसे मुलाकात की, कुछ हिस्सेदारों ने ग्राम अहिरौली पहुंचकर देवनाथ से उसके कब्जे वाले स्थान पर मिलकर बात करने की कोशिश की तो उसके परिजनों ने यह कह दिया कि वह बाहर गए हुए हैं और आने के बाद आप लोगों से मिलेंगे इस घटना को भी लगभग 4 वर्ष से ज्यादा हो चुके हैं इस बीच में देवनाथ यादव ने कूटरचित दस्तावेज तैयार कर जिसे वह रजिस्ट्री का कागज बताता है सभी को दिखाता है जबकि जमीनी वास्तविकता यह है कि बाहर रहकर जीवन यापन करने वाले जगदीश , संजय आदि ने कभी देवनाथ यादव से ना तो भेंट की और ना ही देवनाथ यादव ने उनके हाथ में या उनके खाते में किसी धनराशि का भुगतान किया जिस कारण उपरोक्त हिस्सेदारों ने किसी भी रजिस्ट्री के कागज पर निबंधन कार्यालय में उपस्थित होकर कोई हस्ताक्षर नहीं किये। इससे यह पूरी तरह से सिद्ध हो जाता है कि देवनाथ यादव कूट रचित दस्तावेजों के आधार पर उपरोक्त जमीन पर अवैध कब्जा कर निर्माण करवा रहा है इसके साथ ही उसने कूटरचित दस्तावेज जमा करके बिजली विभाग से बिजली का कनेक्शन भी अपने नाम से बिजली विभाग के कर्मचारियों की मिली भगत से घूस देकर करवा लिया है। संतोष कुमार के अनुसार उन्होंने 2021 से कई बार जनसुनवाई पोर्टल व लिखित रूप में जिलाधिकारी एवं वरिष्ठ पुलिस अधीक्षक को प्रार्थना पत्र लिखकर इस विषय में अवगत कराया इसके साथ ही संजय ने भी इस विषय में जनसुनवाई पोर्टल पर अपनी शिकायत दर्ज करवाई थी परंतु उसका निस्तारण करके उसे समाप्त कर दिया गया संजय ने अपनी शिकायत में कहा था कि यदि रजिस्ट्री कराई गई है तो बिना उनके निबंधन कार्यालय में उपस्थिति के व बिना हस्ताक्षर किए हुए रजिस्ट्री की कार्यवाही कैसे पूर्ण कर ली गई ? साथ ही उन्होंने यह भी शिकायत दर्ज कराई कि रजिस्ट्री के कूटरचित दस्तावेजों की जांच करके दोषी व्यक्ति को दंडित किया जाना चाहिए लेकिन इस शिकायत पर भी कोई न्यायोचित कार्यवाही नहीं की गई और ना ही कूट रचित दस्तावेजों का प्रयोग करके उपरोक्त जमीन पर जबरदस्ती कब्जा करते हुए अवैध निर्माण करने वाले दबंग देवनाथ के खिलाफ कोई कार्यवाही की गई ।इस पूरे मामले में जिलाधिकारी गोला ने अपनी विवशता जताते हुए मौखिक रूप से यह बताया कि क्योंकि यह आबादी की जमीन है इसमें हम कुछ भी नहीं कर सकते। संतोष कुमार के अनुसार उनके शिकायत पर राजस्व विभाग के लेखपाल एवं कानूनगो ने मामले की जांच में घूस लेकर देवनाथ यादव के पक्ष में बिना दस्तावेजों की जांच किये यह रिपोर्ट लगा दी कि उनके पास वैध रजिस्ट्री है और मामले को निस्तारित कर दिया। इसी प्रकार गोला पुलिस में जब शिकायत की गई तो देवनाथ यादव के जाति के व्यक्ति को यह जांच दी गई जिसने बिना दस्तावेजों को जांच और उनकी प्रमाणिकता को समझे मामले को निस्तारित करने की रिपोर्ट लगा दी इस पूरे मामले से स्पष्ट होता है कि एक ही जाति के होने के कारण एवं पूर्व पुलिसकर्मी होने के कारण पुलिस ने उसका बचाव करते हुए निस्तारित करने की रिपोर्ट लगा दी। वर्तमान समय में कार्यरत लेखपाल भी यादव जाति के हैं और वह देवनाथ यादव को पूरी तरह से बचाने की नीयत से सभी दस्तावेजों को सही बताते हुए बार-बार यह कहते हैं कि सभी दस्तावेज सही हैं और इसकी रजिस्ट्री की गई है लेकिन निबंधन कार्यालय से रजिस्ट्री की तारीख, स्टांप ड्यूटी के भुगतान का प्रमाण पत्र/ रसीद इन सब की कोई भी जांच नहीं कर रहे हैं इस मामले में भी स्पष्ट है कि लेखपाल और कानूनगो ने उससे पैसा लेकर मामले को रखा दफा करने का सोच रखा है। देवनाथ यादव जोकि सिपाही के पद पर कार्यरत था उसने अपनी आय से अधिक संपत्तियां अर्जित कर रखी हैं जिसकी भी शिकायत विभागीय तौर पर की गई थी परंतु गोला के स्थानीय पुलिस ने उसका बचाव करते हुए आय से अधिक संपत्ति अर्जित करने के मामले को भी दाखिल दफ्तर कर दिया।
सवाल यह उठता है कि मुख्यमंत्री की भ्रष्टाचार के प्रति जीरो टॉलरेंस की नीति को जमीनी स्तर पर लेखपाल, कानूनगो ,उप जिलाधिकारी एवं पुलिस के क्षेत्राधिकारी, इंस्पेक्टर, दरोगा और सिपाही भ्रष्टाचार में पूरी तरह से लिप्त होकर जीरो कर रहे हैं। 2 वर्षों में 33 शिकायतों का निस्तारण राजस्व विभाग, पुलिस विभाग ,बिजली विभाग द्वारा बिना दस्तावेजों की प्रमाणिकता जांचे कर देना कहीं ना कहीं भ्रष्टाचार की पूरी कहानी को बताता है।
संतोष कुमार ने जितनी शिकायतें दर्ज कराई है उनका विवरण ये है
1- 27-4-2023 40018823015064
2- 20.5.2023 40018823017893
3- 01.5-2023 40018823015545
4- 4.7.2023 40018823025002
5- 4.7.2023 40018822024998
6- 4.12.2023 40018823045996
7- 23.3.2024 400/8824010566
8- 15.3.24 40018824009471
9- 4.4.2024 40018824012484
10- 14.5.24 400188240 17755
11- 24.6.24 400188 24023715
12- 28.6.24. 40018824024571
13- 5.8.2024 40018824030978
14- 5.8.24 40018824030978
15- 31.8.24. 40018024034898
16- 11.8.24 40018824031775
17- 31.8.24 410188 24034943
18- 17.11.24 40018824046802
19- 6.12.24. 40018824049506
20- 7.2.25 40018825004815
21- 21.2.25- 40018825006585
22- 25.1.25 40018825003111
23- 20.3.2025 40018825010519
वर्ष 2023-25 तक कुल 23 शिकायतें
निस्तारित की जा चुकी हैं। जिसमें पीड़ित परिवार को अभी तक न्याय नहीं मिल सका है।इन सभी मामलों में अवैध रूप से कब्जा करने वाले को सही बताया गया है। यह पूरा मामला भ्रष्टाचार की भेंट चढ़ चुका है। जहां मामला करोड़ों की जमीन का हो वहां 2-4 लाख रुपए खर्च करके भ्रष्टाचारियों को घूस खिला कर कुछ भी लिखवाया जा सकता है।
वर्ष 2025 के लंबित शिकायतों की फेहरिस्त इस तरह है
1-20.3.25 4001082500519
2-20.3.25 40018825010507
3-10.4.25 400 8825014599
4-11.4.25 40018825014812
5-12.4.25 40018825014867
6-17.4.25 400/8825015721
7-2.5.25 40018825016327
8-15.5.25 400188250203451
9-14.5.25 40018825020313
10-14.5.25 40018825020300
इतनी शिकायत करने के बाद भी अगर कोई भटक रहा है तो भगवान ही जाने कि पीड़ितों को न्याय मिलेगा या नहीं! न्याय मिलने की कोई गुंजाइश हमें तो नहीं दिखाई देती है ।