
जेल में बंद आरोपी को अदालत ने बरी किया
(खरी कसौटी संवाद)
शाहजहांपुर। जनपद में चलती ट्रेन में मारपीट कर युवक को बाहर फेंकने के मामले में ढाई साल से जेल में बंद आरोपी को अदालत ने दोषमुक्त कर रिहा करने के आदेश दिए हैं। जिस व्यक्ति की हत्या के आरोप में युवक जेल में रहा, वह जिंदा निकला। उसकी गवाही के आधार पर अदालत ने अपना फैसला सुनाया है। बरेली जंक्शन थाना के रात्रि अधिकारी हेड कांस्टेबल सत्यवीर सिंह ने रिपोर्ट दर्ज कराई थी कि 15-16 दिसंबर 2022 को अयोध्या के रहने वाले आलोक ने सीयूजी नंबर पर सूचना दी थी कि दिल्ली-अयोध्या के जनरल कोच डी-2 में एक व्यक्ति ने दूसरे व्यक्ति को मारपीट कर तिलहर रेलवे स्टेशन के पास चलती ट्रेन से बाहर फेंक दिया है। आलोक ने पुलिस को घटना का वीडियो भी उपलब्ध कराया। ट्रेन जब बरेली में रुकी तो पुलिस ने वीडियो के आधार पर मारपीट करने वाले नरेंद्र कुमार दुबे निवासी 1127 संगम विहार कॉलोनी, थाना नंदग्राम जिला गाजियाबाद को पकड़ लिया। इस पर नरेंद्र अपने जुर्म के लिए माफी मांगने लगा। कोच में सफर कर रहे बाराबंकी के अजनी और दिलदार ने घटना की पुष्टि करते हुए नरेंद्र दुबे के खिलाफ युवक के साथ मारपीट कर बाहर फेंकने की बात की गवाही दी। बरेली पुलिस ने शाहजहांपुर जीआरपी को सूचित कर पटरी में पड़े किसी घायल या मृत व्यक्ति के संबंध में जानकारी मांगी। जीआरपी एसएचओ ने बताया कि तिलहर क्षेत्र में पटरी पर एक शव मिला है। शव के फोटो मंगाकर गवाहों को दिखाए गए तो उन्होंने पहचान कर ली। ट्रेन में सवार लोगों ने बताया था कि एक महिला यात्री का मोबाइल चोरी हो गया था। लोगों ने शक के आधार पर एक व्यक्ति को पकड़कर पीट दिया था। इसी दौरान नरेंद्र ने भी उससे मारपीट की थी। धक्का लगने से वह नीचे गिर गया था। पुलिस ने पहचान कराने के लिए फोटो सोशल मीडिया पर डाले थे। सोशल मीडिया पर फोटो देखकर बिहार के मुजफ्फरपुर के थाना क्षेत्र कुड़नी के गांव तारसन सुमेरा का रहने वाला मोहम्मद याकूब 21 दिसंबर को शाहजहांपुर के जिला अस्पताल के शवगृह में पहुंचा। उसने पुलिस को बताया कि यह उसका बेटा मोहम्मद ऐताब है। शिनाख्त के बाद याकूब ने अपने बेटे का शव मानकर अंतिम संस्कार शाहजहांपुर में ही मुस्लिम रीति-रिवाज से कर दिया। घटना के छह महीने के बाद जब ऐताब गुजरात से अपने घर पहुंचा तो सब लोग उसे जिंदा देखकर चौंक गए। आसपास के लोगों ने उसके वीडियो बनाए और पुलिस को सूचना दे दी। शाहजहांपुर की पुलिस उसके घर गई और उसे अपने साथ लेकर शाहजहांपुर आ गई। यहां पर न्यायालय में पेश होकर उसने प्रार्थना पत्र दिया। उसने यह भी बताया कि वह उस ट्रेन में था ही नहीं। वह दिल्ली में सिलाई-कढ़ाई का काम सीखने गया था। वहां से काम करने गुजरात चला गया था। उसके पास मोबाइल नहीं है जिसकी वजह से परिजनों से संपर्क नहीं हो सका। अदालत में मुकदमा चलने के दौरान गवाहों के बयानात के आधार पर अपर सत्र न्यायाधीश पंकज कुमार श्रीवास्तव ने नरेंद्र कुमार दुबे को हत्या के अपराध से दोषमुक्त कर दिया। अदालत ने अपने आदेश में लिखा है कि वर्तमान निर्णय में नरेंद्र कुमार दुबे को हत्या के आरोप से दोषमुक्त किया गया है क्योंकि जिस व्यक्ति की हत्या की बावत विचारण चल रहा है, वह व्यक्ति जिंदा है। इसका मतलब यह है कि वास्तव में नरेंद्र कुमार दुबे के द्वारा जिस व्यक्ति को मारपीट कर चलती ट्रेन से फेंका गया था वह कोई और है। यदि उस अज्ञात व्यक्ति के घरवाले नरेंद्र दुबे पर कोई मुकदमा करना चाहते हैं तो यह निर्णय उस मुकदमे में कोई बाधा नहीं होगा।