ज्योतिषाचार्य पं.अविनाश मिश्र शास्त्री (चित्रकूटधाम)

राम रक्षा स्तोत्र आनंद रामायण से लिया गया है इसे सर्वप्रथम शंकर जी ने बुधकौशिक ऋषि को स्वप्न में उपदेश किया था तथा सुबह जागने के बाद बुधकौशिक ऋषि ने इसे लिपिबद्ध किया
एक बार कंठस्थ होने के बाद राम रक्षा स्तोत्र अपना पूर्ण प्रभाव दिखाने में सक्षम होता है
इसके निम्नलिखित लाभ व महत्व आनंद रामायण में प्राप्त होते हैं जो इस प्रकार है-:
1) राम रक्षा स्तोत्र ‘सर्वकामदाम्’ है अर्थात् सभी मनोकामनाओं की पूर्ति करने वाला है
2) इसके नित्य पाठ से पाठक चिरायु हो जाता है
3) इसके नित्य पाठ करने से सुख समृद्धि और वंश परंपरा अविरल रूप से चलती रहती है
4) इसके पाठ करने वाले को सुख समृद्धि प्राप्त होती है परंतु उसके साथ घमंड नहीं आता सरलता बढ़ती जाती है
5) इसके नित्य पाठ करने से अत्यधिक क्रोध आना शांत हो जाता है पाठक विनयी हो जाता है
6) जो राम रक्षा स्तोत्र का नित्य पाठ करते हैं उन्हें पाताल में भूतल पर या आसमान में विचरण करने वाली कोई भी शक्तियां देखने तक में भी समर्थ नहीं होती अर्थात् उनके पास फटक तक नहीं सकती।
7) जिसने एक बार राम रक्षा स्तोत्र की शरण ले ली वह जिस जिस सिद्धि की कामना करता है उसे वह वह सिद्धियां सहजता से प्राप्त हो जाती है
8) राम रक्षा स्तोत्र के नित्य पाठ करने वाले की सभी आपदाएं अपने आप टल जाती है।
सिद्ध करने कि विधि-: रामरक्षास्तोत्र की सिद्धि नवरात्र काल मे होती है इसके लिए नवरात्र के समय संकल्प लेकर व्रत रखते हुए नौ दिन तक रामरक्षास्तोत्र के 7/11 पाठ नित्य करे और अधिक से अधिक संख्या मे राम नाम का जप करे ।
मनोकामनाओं की पूर्ति के लिए ऐसे करें पाठ-ऐसी मान्यता है कि यदि आप किसी मनोकामना की पूर्ति हेतु राम रक्षा स्त्रोत्र का पाठ कर रहे हैं तो इसे दिन में 11 बार करें और 41 दिनों तक नियमित रूप से इस पाठ का जाप करें। इस स्तोत्र का जाप करने से सभी मनोकामनाओं की पूर्ति होती है। इसके साथ ही आपको इसके जाप से धन लाभ भी प्राप्त होता है। ऐसा माना जाता है कि इस स्तोत्र के पाठ से यदि आपका कोई कोर्ट केस चल रहा है या फिर शत्रुओं पर विजय पानी है तो इसका पाठ फलदायी होता है। यही नहीं जब आप नियमित रूप से इस स्तोत्र का पाठ करते हैं तो घर में शांति बनी रहती है और सुख समृद्धि आती है।
कोई विशेष समस्या उत्पन्न होने पर उसके निवारण के लिए -: संकल्प लेकर गणेश स्मरण आदि कर के रामरक्षास्तोत्र के नित्य 7/11 पाठ करे और यह विचार करे कि मेरे आगे रघुनाथजी पिछे लखनजी और ऊपर हनुमान जी चल रहे है और बीच मे मै रक्षित होकर चल रहा हू और अधिक से अधिक राम नाम का जप करे और ब्रह्मचर्य का पालन करे
प्रेत आदि की समस्या होने पर इस से जल अभिमंत्रित कर के पिएं या पिलाएं।
जा पर कृपा राम की होई ।
ता पर कृपा करें सब कोई।।
ताकर प्रभु कछु अगम नहीं जा पर तुम अनुकूल।
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