ज्योतिषाचार्य पं.अविनाश मिश्र शास्त्री (चित्रकूटधाम)
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली में कई शुभ योग बनते हैं । जिनमें से कुछ अत्यंत शुभ माने जाते हैं। कुंडली के शुभ योगों में से एक गजकेसरी योग है । इस योग के प्रभाव के आर्थिक उन्नति की प्रबल संभवना बनती है । इस योग के प्रभाव से नौकरी में पदोन्नति का भी योग बनता है । इस योग के प्रभाव से जातक को राजा जैसा सुख मिलता है ।
ज्योतिष शास्त्र के मुताबिक कुंडली में गजकेसरी योग तब बनता है जब बृहस्पति और चंद्र ग्रह की युति होती है । बृहस्पति और चंद्रमा जब एक साथ आते हैं या परस्पर दृष्टि संबंध बनाते है तो उससे गजकेसरी योग का निर्माण होता है । यह एक ऐसा शुभ योग है जो चंद्रमा और बृहस्पति से बनता है । बृहस्पति को ज्योतिष में शुभ ग्रह माना गया है। बृहस्पति देव को दोवताओं का गुरू होने का सौभाग्य प्राप्त है । वहीं चंद्रमा को मन का कारक माना जाता है।
गजकेसरी योग का बारें कहा गया है कि गज यानि हाथी और केसरी का अर्थ स्वर्ण होता है । यानि यह योग शक्ति और धन से जुड़ा हुआ योग है ।
जिस व्यक्ति की कंडली में गजकेसरी योग का निर्माण होता है तो इंसान के पास हाथी जैसा बल और लक्ष्मी जी का आशीर्वाद बना रहता है । इसलिए लोग गजकेसरी योग की अवधि में खूब आर्थिक तरक्की करते हैं । ऐसे लोग जीवन के हर क्षेत्र में सफलता प्राप्त करते है।
परंतु गजकेसरी योग कुंडली में होने के बावजूद भी कुछ परिस्थितियों में इस योग का पूरा लाभ नहीं है । ऐसा तब होता है जब इस योग पर राहु या अन्य किसी पापी ग्रह की नजर पड़ती है । माना जाता है कि राहु की नजर से इस योग का लाभ नहीं मिलता है । इसके अलावा जब कुंडली में चंद्रमा कमजोर होता है तो गजकेसरी योग का लाभ नहीं मिलता है ।
1- लग्न में यह योग बने तो जातक कोई नेता या अभिनेता होता है। ऐसे जातक को देखने के लिए जनता उतावली हो जाती है। उसका रहन सहन राजाओं जैसा होता है। यह योग जातक को गलत रास्ते पर भी जाने से रोकता है। जातक ईश्वर को मानने वाला होता है।
2- दूसरे भाव में योग दूसरे भाव में बने तो जातक उच्च घराने में जन्म लेता है, वाणी का धनी होता है, धन सम्पदा की कमी नहीं रहती। ऐसे जातक की बात को गौर से सुना जाता है। ऐसे जातक कथा वाचक और बड़े-बड़े साधू संत भी देखे गए हैं।
3- तीसरे भाव में यह योग बने तो भाई बहन को भी उच्च पद पर ले जाता है। जातक बहुत पराक्रमी और मान-सम्मान वाला होता है।
4- चौथे भाव में यह योग बने तो मां से अत्यंत प्यार और लाभ मिलता है। भूमि और वाहन का उच्च सुख प्रदान होता है। रहने के लिये अच्छा निवास स्थान होता है।
5 -पंचम भाव में यह योग बने तो बुद्धि के बल पर धन कमाने का संकेत होता है। जातक बुद्धिमान होता है। ऐसा जातक अच्छा स्कूल टीचर, वैज्ञानिक, नए नए अविष्कार करने वाला होता है। ऐसा जातक उच्च कोटि का लेखक भी बन सकता है। ऐसे जातक को पूर्ण संतान का सुख मिलता है, संतान के उच्च पद पर आसीन होने के योग भी बनते हैं।
6- छठे भाव में यह योग कुछ कमजोर पड़ जाता है। छठे भाव में गुरु शत्रुहंता होता है। शत्रु दब कर रहते हैं साथ में चंद्रमा मन और माता के लिए ठीक नहीं होता उनका स्वास्थ्य बिगड़ा सा रहता है।
7- सप्तम भाव जीवन साथी का होता है जीवन साथी उच्च पद पर आसीन होता है। उच्च घराने में शादी करवाता है। जीवन साथी उच्च विचारों वाला होता है।
- अष्टम/ आयु भाव में- अष्टम भाव का गजकेसरी योग भी कमजोर पड़ जाता है। यह योग जातक को गुप्त विद्या में ले जाता है इस योग में बड़े-बड़े तांत्रिक और साधू संत देखे जाते हैं। यह योग कई बार अचानक धन भी दिलवा देता है। यह योग गुप्त धन की प्राप्ति जरूर देता है। जातक कल्पना भी नहीं कर सकता वहां से धन की प्राप्ति हो जाती है।
- नवम भाव में गजकेसरी योग जातक को कर्म से ज्यादा भाग्य के द्वारा मिल जाता है। नवम भाव धर्म और भाग्य का माना गया है। ऐसा जातक बहुत भाग्य शाली होता है और भगवान के प्रति सच्ची श्रद्धा रखता है।
10.दसवें भाव में गजकेसरी योग पिता को उच्च पद पर ले जाता है। जातक को भी उच्च पद प्राप्त होता है। जातक भाग्य से ज्यादा कर्म को महत्व देता है समाज में मान-सम्मान दिलवाता है।
11- ग्यारहवे भाव में गजकेसरी योग जातक की आय के एक से अधिक स्रोत होते हैं। जातक को कई प्रकार से इनकम आती है कम मेहनत मे ज्यादा पैसा का संकेत होता है। ऐसा जातक घर बैठे पैसा कमाता है।
12- बारहवें भाव में गजकेसरी योग कुछ कमजोर पड़ जाता है। जातक धर्म-कर्म पर पैसा खर्च करने वाला घर से दूर सफलता का-सूचक होता है।
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