ज्योतिषाचार्य पं.अविनाश मिश्र शास्त्री (चित्रकूटधाम)

शिव तांडव स्तोत्र -सनातन धर्म में मंत्र और स्तोत्र का विशेष महत्व माना जाता है। धर्म शास्त्रों में मंत्र जाप और स्तोत्र के नियमित पाठ के द्वारा भगवान को प्रसन्न करने का विधान है। साधक प्रतिदिन पूजा और आरती के समय मंत्रों और स्तोत्र का जाप कर अपने आराध्य देवों को प्रसन्न करते हैं। भगवान शिव के परम भक्त लंकापति रावण ने एक विशेष स्तुति की रचना की थी, जो शिव तांडव स्तोत्र के नाम से जाना जाता है।
शिव तांडव स्तोत्र क्या है -शिवताण्डव स्तोत्र स्तोत्रकाव्य में अत्यन्त लोकप्रिय है। यह पंचचामर छन्द में आबद्ध है। इसकी अनुप्रास और समास बहुल भाषा संगीतमय ध्वनि और प्रवाह के कारण शिवभक्तों में प्रचलित है। शिव तांडव स्तोत्र की प्रभावशाली भाषा एवं काव्य-शैली की वजह से शिवस्तोत्रों में विशिष्ट माना जाता है। शिवताण्डव स्तोत्र में दशानन ने 17 श्लोक से भगवान की स्तुति की है।
शिव तांडव स्तोत्र किसने और क्यों लिखा -पौराणिक कथाओं के अनुसार, लंकापति रावण अहंकार में कैलाश पर्वत को अपने भुजाओं से उठाने का प्रयास करने लगा। तभी भगवान भोलेनाथ ने अपने पैर के अंगूठे से कैलाश पर्वत को हल्का सा दबा दिया, जिसके वजह से कैलाश पर्वत हिला नहीं लेकिन रावण के दोनों हाथ पर्वत के नीचे दब गए। उस समय रावण को असहनीय पीड़ा हुई और उसे अपनी भूल का एहसास हुआ। रावण ने उसी पीड़ा के बीच भगवान शिव से क्षमा याचना करते हुए शिव तांडव स्तोत्र की रचना की।
शिव तांडव स्तोत्र का महत्व -धार्मिक मान्यता है कि शिवतांडव स्तोत्र का पाठ करने से महादेव नृत्य, चित्रकला, लेखन, योग, ध्यान, समाधि आदि सिद्धियों को प्रदान करने वाले हैं। ऐसे में शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से इन सभी विषयों में सफलता प्राप्त होती है। शिव तांडव स्तोत्र का जाप करने या सुनने से व्यक्ति को अपार शक्ति, सौंदर्य और मानसिक शक्ति मिलती है।
शिव तांडव स्तोत्र सुनने के लाभ विद्वानों की माने तो भोलेनाथ को प्रसन्न करने के लिए शिव तांडव स्तोत्र का पाठ नियमित रूप से सुबह और शाम को करना चाहिए। ऐसा करने से महादेव तो खुश होते ही हैं, साथ ही साधक को कभी भी धन-सम्पति की कमी नहीं होती है।
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से जातक को कर्ज और आर्थिक संकटों से छुटकारा मिलता है।
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ नियमित करने से गृहस्थ जीवन सुखमय होता है। परिवार में खुशहाली और समृद्धि आती है। शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने से दांपत्य जीवन में प्रेम बढ़ता है।
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ को करने से जातक का चेहरा तेजमय होता है, ओजस्वी व्यक्तित्व के साथ आत्मबल मजबूत होता है।
शिव तांडव स्तोत्र की विधि· शिव तांडव स्तोत्र का पाठ सुबह उठ कर ब्रह्म मुहूर्त में करना चाहिए।
शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करने के लिए पहले स्नान करना चाहिए और उसके बाद स्वच्छ वस्त्र धारण करना चाहिए।
· शिव तांडव स्तोत्र का पाठ शुरू करते समय श्रद्धाभाव से दीप, धूप, गंगाजल और नैवेद्य से भोलेनाथ का पूजन करें।
· पीड़ा में होने के कारण दशानन रावण ने शिव तांडव स्तोत्र को तेज स्वर में गाया था। इसलिए आप भी गाकर शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करें और भोलेनाथ जल्दी प्रसन्न होंगे।
· कहा जाता है कि शिव तांडव स्तोत्र का पाठ नृत्य के साथ करना सर्वोत्तम होता है, लेकिन तांडव नृत्य केवल पुरूषों को ही करना चाहिए। वहीं पाठ पूर्ण हो जाने के बाद भगवान शिव का ध्यान करना चाहिए।
· इसके अलावा जिन लोगों की कुण्डली में सर्प योग, कालसर्प योग या पितृ दोष लगा हुआ हो, उन्हें भी शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करना चाहिए। पूजा-पाठ संपूर्ण होने के बाद भगवान शिव का ध्यान करें।
· शिव तांडव स्तोत्र का पाठ करते समय मन में किसी के प्रति दुर्भावना नहीं होनी चाहिए, क्योंकि यह पाठ अत्यंत शक्तिशाली और ऊर्जावान है।
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