लखनऊ। प्रदेश के मुख्य सचिव मनोज कुमार सिंह की अध्यक्षता में बैंक ऑफ़ बड़ौदा के गोमतीनगर स्थित ‘बड़ौदा हाउस’ के ‘सर सयाजीराव गायकवाड हॉल’ में राज्य स्तरीय बैंकर्स समिति की बैठक आयोजित की गई। बैठक की सह-अध्यक्षता बैंक ऑफ़ बड़ौदा के कार्यपालक निदेशक एवं एसएलबीसी के अध्यक्ष लाल सिंह द्वारा की गई।
अपने संबोधन में मुख्य सचिव ने कहा कि वित्तीय समावेशन (Financial Inclusion) और क्रेडिट उपलब्धता राज्य के विकास के लिए अत्यंत महत्वपूर्ण हैं। उन्होंने बताया कि बैंकों के सहयोग से प्रदेश में वित्तीय समावेशन के क्षेत्र में उल्लेखनीय प्रगति हुई है। आज शहरी और ग्रामीण क्षेत्रों में लगभग प्रत्येक परिवार और व्यक्ति के पास बैंक खाता है, साथ ही वित्तीय साक्षरता और वित्तीय सेवाओं तक पहुंच में भी महत्वपूर्ण सुधार देखा गया है। उन्होंने कहा कि बैंकों द्वारा प्रदेश में जमा-ऋण अनुपात (सीडी रेशियो) को बढ़ाने के साथ ही ऋण प्रवाह को और अधिक सुदृढ़ किया जाये।
उन्होंने बीसी सखियों की सफलता को रेखांकित करते हुए कहा कि राज्य सरकार द्वारा बैंकों के सहयोग से बीसी सखी योजना संचालित की जा रही है। इस योजना के तहत बैंकों के संस्थानों द्वारा लगभग 50,000 महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है। प्रशिक्षण में महिलाओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया और प्रमाणन प्राप्त किया। बीसी सखी महिलाओं ने 35,000 करोड़ रुपये के ट्रांजेक्शन किए, जो एक बड़ी उपलब्धि है। उन्होंने सभी बैंकों से आह्वान किया कि वे इस तरह के प्रयासों में एकजुट होकर कार्य करें।
उन्होंने हाल ही में माननीय मुख्यमंत्री द्वारा शुरू की गई सीएम युवा योजना का उल्लेख करते हुए कहा कि यह योजना युवाओं को अपना खुद का व्यवसाय शुरू करने के लिए एक सुनहरा अवसर प्रदान करती है। सरकार योजना के माध्यम से युवाओं को वित्तीय सहायता, प्रशिक्षण और अन्य सपोर्ट प्रदान कर युवाओं को सशक्त बनाना चाहती है। उन्होंने योजना के अंतर्गत बैंकों को सौंपे गए लक्ष्यों की प्राप्ति तथा प्रदेश के युवाओं को नए उद्योग स्थापित करने के लिए प्रोत्साहित करने पर बल दिया। उन्होंने कहा कि बैंकों द्वारा इस योजना को सक्रिय रूप से बढ़ावा दिया जाये, ताकि प्रदेश में अधिक से अधिक रोजगार के अवसर उत्पन्न हो सकें। उन्होंने यह भी जोर दिया कि बैंकों को लोन आवेदनों का गहन परीक्षण करना चाहिए और आवश्यक सुधारों के साथ केवल उतना ऋण स्वीकृत करना चाहिए, जितना आवेदक के व्यवसाय या उद्यम के लिए आवश्यक हो। यदि ऋण राशि आवश्यकता से कम स्वीकृत की जाती है, तो न केवल आवेदक अपने व्यवसाय को पूर्ण क्षमता से संचालित करने में असमर्थ होगा, बल्कि बैंकों को ऋण वसूली में भी कठिनाई हो सकती है।
कार्यपालक निदेशक, बैंक ऑफ बड़ौदा एवं अध्यक्ष, एसएलबीसी, उत्तर प्रदेश लाल सिंह ने भारत के वर्तमान भू-राजनीतिक परिदृश्य के परिप्रेक्ष्य में बैंकों की विशेष भूमिका पर प्रकाश डाला तथा सभी से प्रदेश की अर्थव्यवस्था और वित्तीय प्रणाली को सुदृढ़ बनाने हेतु अधिकतम प्रयास करने का आह्वान किया। साथ ही, केंद्र एवं राज्य सरकार द्वारा प्रायोजित योजनाओं को प्रभावी रूप से लागू करते हुए, फसल, पशुपालन एवं मत्स्य पालन के लिए केसीसी (किसान क्रेडिट कार्ड) जारी करने, सभी पात्र व्यक्तियों को जन सुरक्षा योजनाओं से जोड़ने तथा विभिन्न सरकारी योजनाओं में लंबित आवेदन पत्रों का शीघ्र निस्तारण सुनिश्चित करने हेतु बैंकों से अनुरोध किया गया।
इससे पूर्व, उन्होंने मार्च त्रैमास के दौरान प्रदेश में हुई विभिन्न बैंकिंग गतिविधियों एवं सरकार प्रायोजित योजनाओं के अंतर्गत हुई प्रगति से अवगत कराया। बैठक के दौरान प्रदेश में विभिन्न बैंकिंग मापदंडों, केंद्र एवं राज्य सरकार की प्रायोजित योजनाओं की प्रगति की समीक्षा, जन-धन खातों में Re-KYC करने तथा आर्थिक सशक्तिकरण के लिए ठोस कदम उठाने पर विस्तृत विचार-विमर्श किया गया।
बैठक में कृषि उत्पादन आयुक्त दीपक कुमार, भारतीय रिज़र्व बैंक-लखनऊ के क्षेत्रीय निदेशक पंकज कुमार, सचिव वित्त श मिनिस्ती एस, विशेष सचिव नियोजन अमित सिंह बंसल, अतिरिक्त आयुक्त एवं अतिरिक्त रजिस्ट्रार (बैंकिंग), सहकारी समितियां अनिल कुमार सिंह, मुख्य महाप्रबंधक, नाबार्ड, लखनऊ शैलेन्द्र कुमार सिंह, उप-महाप्रबंधक एसएलबीसी निधि कुमार सहित शासन व बैकों के वरिष्ठ अधिकारीगणों आदि ने प्रतिभाग किया।