सिक्किम के उत्तर में शक्तिशाली हिमालय की गोद में बसा कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान का नाम दुनिया की तीसरी सबसे ऊंची पर्वत चोटी कंचनजंगा चोटी के नाम पर रखा गया है। आपको बता दे कंचनजंगा नेशनल पार्क एक उच्च ऊंचाई वाला राष्ट्रीय उद्यान और देश का पहला “मिश्रित-विरासत” स्थल है। जिसे हाल ही में यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थलों में शामिल किया गया है। 8586 मीटर की ऊँचाई पर स्थित कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान को “खंगचेंद्ज़ोंगा राष्ट्रीय उद्यान” के रूप में भी जाना जाता है।
बता दे 850 वर्ग किलोमीटर के विशाल क्षेत्र में फैला खंगचेंद्ज़ोंगा राष्ट्रीय उद्यान हिम तेंदुए और हिमालयी ताहर सहित वनस्पतियों और जीवों की सबसे अधिक स्थानिक और दुर्लभ प्रजातियों का घर है। जैव विविधता में अद्वितीय, यह जगह एक विविध परिदृश्य और लुभावनी विचारों के साथ ट्रैकिंग के लिए एक स्वर्ग है। जो पर्यटकों और वन्य जीव प्रेमियों के लिए आकर्षण के केंद्र बने हुए है। और आपकी जानकारी के लिए बता दे कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान अंदर कई ग्लेशियर भी देखे जाते हैं जिनमें से छब्बीस किलोमीटर की लंबाई वाला ज़ेमू ग्लेशियर सबसे महत्वपूर्ण है। कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान सिक्किम में घूमने के लिए सबसे प्रमुख जगहों में से एक है, जो प्रत्येक बर्ष कई हजारों पर्यटकों की मेजबानी करता है।
पार्क का इतिहास
कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान को 1977 में राष्ट्रीय उद्यान के रूप में घोषित किया गया था। प्रारंभ में, राष्ट्रीय उद्यान का क्षेत्र 850 किमी वर्ग था जिसे बाद में 1784 किमी वर्ग तक बढ़ाया गया था। कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान का नाम दुनिया की तीसरी सबसे ऊँची चोटी के नाम कंचनजंगा चोटी से लिया गया था।
वनस्पति और वन्यजीव के बारे में
कंचनजंगा नेशनल पार्क चारों ओर उत्तम सौंदर्य से भरपूर, कई दुर्लभ औषधीय पौधों के साथ-साथ ओक्स, बर्च, विलो और मेपल जैसी लुप्तप्राय वनस्पतिय प्रजातियों का घर है। इनके अलावा आप यहाँ अल्पाइन घास, और इस क्षेत्र में पाई जाने वाली झाड़ियों को भी देखें सकेगे। और वन्यजीव प्रजातियों की बात करें तो अकेले पक्षियों की लगभग 550 से अधिक प्रजातियां इस क्षेत्र में रहती हैं, जिनमें हरे कबूतर, ट्रगोपैन तीतर, रक्त तीतर, तिब्बती स्नोकोक और हिमालयन ग्रिफॉन शामिल हैं। और 2016 में हिमालयन फ़ॉर्स्ट थ्रश नामक पक्षी की एक नई प्रजाति की खोज की गई थी। जबकि यहाँ सरीसृप, स्तनधारी जीवों की प्रजातियाँ में हिमालयन तहर, हिमालयन ब्लू शीप, जंगली कुत्ता, हिम तेंदुआ, लाल पांडा, तिब्बती जंगली गधा, और सुस्ती भालू जैसे कई प्रजातियाँ शामिल हैं।
पार्क के अंदर क्या है खास?
कंचनजंगा राष्ट्रीय उद्यान में कई लोकप्रिय ट्रेकिंग विकल्प मौजूद हैं।जो कंचनजंगा नेशनल पार्क के आकर्षण में एक महत्वपूर्ण भूमिका निभाते हैं। और बड़ी संख्यां में पर्यटक ट्रेकिंग जैसी रोमंचक गतिविधियों को एन्जॉय करते देखे जाते हैं। आपको बता दे ट्रेक पर जाने से पहले आपको युकसुम में वन्यजीव शिक्षा और व्याख्या केंद्र से अनुमति प्राप्त करनी होगी है जो इन ट्रेक में से अधिकांश का शुरुआती बिंदु है। साथ ही राज्य सरकार निजी एजेंटों के साथ मिलकर पर्यटकों के लिए ट्रेको का भी आयोजन करती है। जो आपकी कंचनजंगा नेशनल पार्क की यात्रा को रोमंचक बनाने का अवसर प्रदान करती है।
पार्क में घूमने का समय और टिकट की कीमत
कंचनजंगा में घूमने के लिए सबसे अच्छे समय की बात की जाए तो मार्च से मई और सितंबर से मध्य दिसंबर के बीच का समय माना जाता है। हालांकि, सितंबर में अधिक बारिश होने के चलते कई लोग मार्च से मई और अक्टूबर में जाना पसंद करते हैं। इसके अलावा अगर टिकट की बात की जाए तो देशी पर्यटकों के लिए लगभग 300 रुपये और विदेशी पर्यटकों के लिए लगभग 550 रुपये हैं। इस पार्क के अंदर लगभग 50 रुपये के अंदर आराम करने के लिए तम्बू भी किराए पर मिलता है। आपकी जानकारी के लिए बता दें कि पार्क से कुछ ही दूरी पर मौजूद होटल में रुक सकते हैं।