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द्वापर युग में भगवान विष्णु के अवतार श्रीकृष्ण जन-जन के लिए ऐसे आदर्श हैं, जो सभी को सुखी जीवन जीने के सूत्र सिखाते हैं।
वे पाप-पुण्य, नैतिक-अनैतिक से परे पूर्ण पुरुष की अवधारणा को साकार करते हैं। अपने जीवन काल में योगेश्वर श्रीकृष्ण ने अनेकों राक्षसों का अंत कर समाज में व्याप्त दुखों और बुराइयों को समाप्त किया। लेकिन एक बार श्रीकृष्ण को रणभूमि छोड़कर भागना पड़ा था, जिस कारण उनका एक नाम रणछोड़ पड़ गया। दरअसल यह उनकी एक युद्ध रणनीति ही थी। इस घटना क्रम के पीछे एक बेहद ही रहस्यमय कहानी है,आइए जानते हैं। 2 of 5
पौराणिक कथा-
द्वापर युग में मगधराज जरासंध ने अनेक राजाओं को युद्ध में हराकर उन्हें बंदी बना लिया था। जरासंध चाहता था कि जब पूरे सौ राजा पकड़े जा चुके होंगे तो वह पशु बलि के स्थान पर राजाओं का वध करके यज्ञ का अनुष्ठान करेगा। ऐसे अत्याचारी ने भगवान श्रीकृष्ण को भी युद्ध के लिए ललकारा था, लेकिन वह सिर्फ अकेले नहीं बल्कि उसने श्रीकृष्ण के खिलाफ युद्ध के लिए यवन देश के राजा कालयवन को भी अपने साथ मिला लिया था। कालयवन को भगवान शंकर से ये वरदान मिला हुआ था कि न तो कोई चंद्रवंशी और न ही कोई सूर्यवंशी उसको युद्ध में हरा सकता है। उसे न तो कोई हथियार मार सकता है और न ही कोई अपने बाहुबल से हरा सकता है। 3 of 5
भगवान शंकर से मिले वरदान की वजह से कालयवन खुद को अमर और अजेय समझने लगा था,उसे लगा कि कोई भी उसे युद्ध में हरा नहीं सकता है और न ही मार सकता है। जरासंध के कहने पर कालयवन ने अपनी सेना के साथ मथुरा पर आक्रमण कर दिया। हालांकि श्रीकृष्ण जानते थे कि कालयवन को वो अपने बल से मार नहीं सकते हैं और न ही उनका सुदर्शन चक्र उसका कुछ बिगाड़ सकता है। इसलिए वो रणभूमि छोड़ कर भाग गए और एक अंधेरी गुफा में पहुंच गए। 4 of 5
श्रीकृष्ण जिस गुफा में जाकर छुपे हुए थे, उसमें पहले से ही इक्ष्वाकु नरेश मांधाता के पुत्र और दक्षिण कोसल के राजा मुचकुंद गहरी नींद में सोए हुए थे। दरअसल, उन्होंने असुरों से युद्ध कर देवताओं को जीत दिलाई थी। लगातार कई दिनों तक युद्ध करने की वजह से वह थक गए थे, इसलिए स्वर्गाधिपति इंद्र ने उनसे सोने का आग्रह किया और उन्हें एक वरदान भी दिया, जिसके अनुसार जो कोई भी उनकी नींद में खलल डालेगा, वह जलकर भस्म हो जाएगा। 5 of 5
राजा मुचकुंद को मिले वरदान की बात श्रीकृष्ण को पता थी, इसलिए वो कालयवन को अपने पीछे-पीछे उस गुफा तक ले आए, जहां राजा मुचकुंद सोए हुए थे। श्रीकृष्ण ने कालयवन को भ्रमित करने के लिए अपना पीतांबर राजा मुचकुंद के ऊपर डाल दिया। राजा मुचकुंद को देख कर कालयवन को लगा कि वह श्रीकृष्ण ही हैं और उससे डर कर अंधेरी गुफा में छुप कर सो गए हैं। इसलिए उसने श्रीकृष्ण समझ कर राजा मुचकुंद को ही नींद से उठा दिया। अब राजा मुचकुंद जैसे ही नींद से उठे, कालयवन वहीं जल कर भस्म हो गया।यही कारण है की इस घटना के उपरान्त श्री कृष्ण रणछोड़ कहलाए। असल में यह भगवान श्रीकृष्ण की ही एक लीला थी।