देश भर में इन्फ्लुएंजा बुखार में तेजी से वृद्धि हुई है। लोग आए दिनों तेज बुखार, सर्दी और गले की खराश की शिकायत कर रहे हैं। डॉक्टरों का मानना है कि इस बुखार के लिए जिम्मेदार इन्फ्लूएंजा ए सीरीज के एच3एन2 वायरल के पैटर्न में अचानक बदलाव देखे जा रहे हैं।
इन दिनों देश भर के अस्पतालों में एच3एन2 इन्फ्लूएंजा के हजारों मामले सामने आए हैं।
सर गंगाराम अस्पताल के डॉक्टर धीरेन गुप्ता ने कहा, “पिछले 6 महीनों में वायरस के पैटर्न में जबरदस्त बदलाव आया है। आम तौर पर, हम इन्फ्लूएंजा को नंबर 1 वायरस के रूप में देखते हैं जो इस बीमारी का कारण हो सकता है। अस्पताल में भर्ती होने वाले मरीजों में इस बार इन्फ्लुएंजा ए वायरस के सबटाइप एच3एन2 के केसेस देखें गए हैं, इसके जरिए सांस की नली में संक्रमण का खतरा बढ़ गया है।”
आफत बना एडेनोवायरस
एडेनोवायरस की गंभीरता की ओर इशारा करते हुए उन्होंने कहा कि एक और वायरस जो गंभीर बीमारी की ओर ले जा रहा है। उन्होंने कहा, “पिछले 2 महीनों में आईसीयू में मरीजों की संख्या बढ़ने के कारण में एडेनोवायरस रहा है।” एडेनोवायरस के बारे में आगे बताते हुए डॉ. गुप्ता ने कहा कि डीएनए वायरस मुख्य रूप से ऊपरी श्वसन तंत्र और आंखों को प्रभावित करता है और कोविड की तरह फैलता है।
कैसे होता है ये रोग
बच्चों में एडेनोवायरस आमतौर पर श्वसन और आंत्र नलिका में संक्रमण का कारण बनता है। डॉक्टरों ने कहा कि 0-2 साल की उम्र के बच्चों को संक्रमण का सर्वाधिक और 2-5 साल की उम्र वाले बच्चे को संक्रमण का अधिक खतरा होता है। 5-10 साल के बच्चों के इसके (संक्रमण के) चपेट में आने की आशंका होती है। डॉक्टरों कहा कि 10 साल से अधिक उम्र के बच्चों के इस वायरस से संक्रमित होने का कम खतरा होता है। उन्होंने कहा कि सावधानी बरतनी चाहिए क्योंकि ज्यादातर मामलों का घर पर ही इलाज संभव है।





























