कोविड -19 प्रेरित लॉकडाउन के बाद भी जम्मू-कश्मीर के भदरवाह जिले में सुगंधित लैवेंडर पुष्प की खेती से जुड़े लगभग 1,000 परिवारों ने न केवल खुद को आत्मनिर्भर बनाया है, बल्कि महामारी के दौरान कई लोगों को नौकरी देने वालों के रूप में भी उभरे हैं. इलाके में पारंपरिक खेती करने वालों के लिए लैवेंडर खेती करने वाले ये किसान, प्रेरणा का स्रोत भी बन गए हैं.
केंद्र सरकार के सुगंधित-पादप कृषि प्रोत्साहन मिशन के तहत भदरवाह जिले के विभिन्न गांवों के परिवारों ने मक्के की खेती की जगह सुगंधित लैवेंडर की खेती की ओर अपना रुख किया है. ये परिवार, अंतरराष्ट्रीय बाजार में लैवेंडर तेल की बढ़ती मांग की पृष्ठभूमि में अपने फैसले को लेकर खुश हैं, क्योंकि इससे उन्हें अच्छी कमाई हुई है.
अधिकारियों ने कहा कि महामारी और लंबे समय के लॉकडाउन के समय, लेंवेंडर की खेती करने वाले ये किसान सैकड़ों मजदूरों को रोजगार दे रहे थे, इस प्रकार वे ‘आत्मनिर्भर भारत’ का वास्तविक उदाहरण बन गए हैं.
टिपरी गांव के निवासी 28 वर्षीय अनीश ने बताया, ‘मैंने पिछले साल महामारी के कारण अपनी नौकरी गंवाने से पहले चार साल तक दिल्ली में एक बहुराष्ट्रीय कंपनी के साथ काम किया था. नौकरी छूटने के बाद दूसरी नौकरी पाने में मुश्किल होने के बाद निराश होकर मैंने अपना बैग पैक किया और अपने पैतृक गांव लौट आया.’
हालांकि, उन्होंने कहा कि वापस लौटने और लैवेंडर उगाने के काम में अपने परिवार के साथ शामिल होने के उनके निर्णय ने उनके जीवन में क्रांति ला दी क्योंकि वह एक साल पहले नौकरी तलाशने वाले के स्थान पर नौकरी देने वाले बन गए थे.
उन्होंने इस दूर-दराज के क्षेत्र के किसानों को संगठित करने के लिए आईआईआईएम जम्मू के वैज्ञानिकों को धन्यवाद देते हुए कहा, ‘मैं आज पहले से कहीं अधिक खुश हूं क्योंकि न केवल मेरी बचत बढ़ी है बल्कि इससे मुझे बहुत संतुष्टि मिली है कि मैं दूसरों को नौकरी दे रहा हूं.’
टिपरी, लेहरोटे, खेलानी, मनवा, चिंता, त्रब्बी, कौंडला, शारोरा, चतरा, दांडी, भल्ला और अठखर के कुछ हिस्सों के किसान, जिन्होंने लैवेंडर फूलों की अपनी उपज की कटाई शुरू कर दी है, इस साल बंपर फसल की उम्मीद कर रहे हैं. इन किसानों ने कहा कि कोरोना महामारी के इस कठिन समय में लैवेंडर की खेती की ओर रुख करना उनके लिए एक बड़ी राहत बनकर आई है.
उन्होंने कहा, ‘जब हमने 10 साल पहले पारंपरिक मक्के की फसल उगाने से सुगंधित लैवेंडर की खेती की ओर रुख किया, तो हमें अपने रिश्तेदारों और दोस्तों ने भी हतोत्साहित किया गया था, लेकिन आज वे सभी हमें एक प्रेरणा के रूप में देखते हैं.





























